रेल यात्रा होगी आरामदायक : ट्रेनों कोच के ऊपर लगेंगे सोलर पैनल, उत्तर रेलवे में ट्रायल हुआ पूरा

ट्रेनों कोच के ऊपर लगेंगे सोलर पैनल, उत्तर रेलवे में ट्रायल हुआ पूरा
UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Jul 25, 2024 12:09

भारतीय रेलवे में अब ट्रेनों के कोच सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण के लाभदायक है, बल्कि यात्रियों के लिए भी अधिक सुविधाजनक साबित होगी। उत्तर रेलवे में इस तकनीक...

Jul 25, 2024 12:09

New Delhi News : भारतीय रेलवे में अब ट्रेनों के कोच सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण के लाभदायक है, बल्कि यात्रियों के लिए भी अधिक सुविधाजनक साबित होगी। उत्तर रेलवे में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया जा चुका है, और अब पूर्वोत्तर रेलवे सहित अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू करने की योजना है।
इस योजना के तहत ट्रेन के कोच की छत पर सोलर पैनल स्थापित किए जाएंगे। ये पैनल सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करेंगे, जिससे कोच की लाइटें, पंखे और एसी चलेंगे। यह न केवल ऊर्जा की बचत करेगा, बल्कि डीजल के उपयोग को भी कम करेगा, जो पर्यावरण के लिए लाभदायक सबित होगा।

उत्तर रेलवे में हुआ परीक्षण सफल
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर रेलवे की कुछ पैसेंजर ट्रेनों में इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। अब तक लगभग 60 डिब्बों में सौर पैनल लगाए जा चुके हैं। इनमें दिल्ली के शकूरबस्ती डेमू, तमिलनाडु जन शताब्दी एक्सप्रेस और दो अन्य ट्रेनों के कोच शामिल हैं।

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सोलर पैनल के लाभ 
पहला लाभ यह है कि डीजल की खपत को काफी हद तक कम करेगी। उदाहरण के लिए, गोरखपुर से दिल्ली तक की यात्रा में एक पावर कार लगभग 2000 लीटर डीजल का उपयोग करती है। सौर ऊर्जा के उपयोग से यह खर्च बच जाएगा।
दूसरा लाभ यह है कि पावर कार के हटने से प्रत्येक ट्रेन में दो अतिरिक्त यात्री कोच जोड़े जा सकेंगे। इससे यात्रियों को पावर कार के शोर से मुक्ति मिलेगी, जो उनकी यात्रा को अधिक आरामदायक बनाएगा।

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अभी ट्रेनों में बिजली आपूर्ति इस सिस्टम से होती है
पहला, एलएचबी रैक वाली गाड़ियों में पावर कार का उपयोग किया जाता है। दूसरा, कुछ ट्रेनों में एचओजी इंजन लगाए गए हैं, जो कुछ कोच को बिजली की आपूर्ति करते हैं। तीसरा, परंपरागत कोच की रैक में, ट्रेन के चलने के दौरान उत्पन्न होने वाली बिजली से बैटरी चार्ज होती है। सौर ऊर्जा का उपयोग इन सभी सिस्टम्स से बेहतर साबित हो सकता है। यह न केवल अधिक टिकाऊ है, बल्कि लंबे समय में आर्थिक रूप से भी लाभदायक होगा। इसके अलावा यह कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।

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