SC के फैसले से बंद हो जाएगा बुलडोजर एक्शन! : जानें कहां लागू नहीं होंगे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश

जानें कहां लागू नहीं होंगे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
UPT | Supreme Court

Nov 13, 2024 21:10

कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा किसी व्यक्ति के घर को बिना न्यायिक आदेश के गिराने की कार्रवाई को संविधान और कानून के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की शुरुआत में यह भी कहा कि हर इंसान का सपना होता है...

Nov 13, 2024 21:10

New Delhi News : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर न्याय को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राज्य और उसके अधिकारी मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा किसी व्यक्ति के घर को बिना न्यायिक आदेश के गिराने की कार्रवाई को संविधान और कानून के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की शुरुआत में यह भी कहा कि हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना घर और आंगन हो और यह सपना कभी टूटने नहीं चाहिए। कोर्ट ने दोहराया कि इस तरह के मामलों में अधिकारियों को मनमानी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और बिना सुनवाई के किसी को दोषी ठहराया नहीं जा सकता।

बुलडोजर एक्शन पर पूरी तरह से लगेगी रोक?
अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बुलडोजर एक्शन पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। कोर्ट ने यह साफ किया कि कुछ विशेष मामलों में बुलडोजर कार्रवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक जगह जैसे सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकाय पर अनधिकृत रूप से कब्जा कर रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा-निर्देश उन पर लागू नहीं होंगे। 

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आदेश की अवहेलना पर निभानी होगी जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मामलों में पहले से ही अदालत द्वारा ध्वस्तीकरण (demolition) का आदेश दिया गया है, उन पर भी यह नया फैसला लागू नहीं होगा। अदालत ने यह उल्लेख किया कि सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत कब्जों को हटाने के लिए जारी किए गए बुलडोजर एक्शन को कोर्ट के दिशा-निर्देशों से बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा, अगर किसी भी अधिकारी ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की, तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और उन्हें उस संपत्ति की पुनर्प्राप्ति के लिए खुद खर्च वहन करना होगा।

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प्रभावित पक्ष को देना होगा समय
अदालत ने यह भी कहा कि यदि बुलडोजर एक्शन का आदेश पारित किया जाता है, तो प्रभावित पक्ष को इसके खिलाफ अपील करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, जिन लोगों के खिलाफ ध्वस्तीकरण का आदेश जारी हुआ है, उन्हें अपनी संपत्ति खाली करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। अदालत ने यह सुझाव दिया कि अधिकारियों को एक ठोस योजना बनानी चाहिए ताकि किसी भी नागरिक को बिना समय दिए सड़कों पर न फेंका जाए। 

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थोड़ा संयम दिखाएं- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को रातों-रात सड़कों पर खींचने का दृश्य बेहद असंवेदनशील और दुखद होता है। अदालत ने कहा कि अगर अधिकारी थोड़ा संयम दिखाएं और समय पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकें, तो किसी भी बड़ी समस्या से बचा जा सकता है।

किसी का घर उसकी उम्मीद होती है- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के घर को केवल इस आधार पर नहीं गिराया जा सकता कि उस पर कोई अपराध का आरोप है। कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन शामिल थे, ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी। जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा कि हर व्यक्ति का घर उसकी सुरक्षा और उम्मीद का प्रतीक होता है। हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिनें। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आरोपों के आधार पर किसी का घर गिराना उचित नहीं है और आरोपों की सच्चाई का फैसला केवल न्यायपालिका ही करेगी।

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