शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपना चतुर्मास कर रहे हैं। नियमित प्रवचन के तहत मंगलवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “गुरु और शिष्य का सम्बन्ध संसार में सबसे अधिक विलक्षण होता है...
दिल्ली में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद : ‘गुरु के हितवाक्यों का संग्रह है विवेक चूडामणि’, ये है प्रतिदिन दर्शन का समय
Jul 24, 2024 10:51
Jul 24, 2024 10:51
विवेक, चूडा और मणि शब्द की विस्तृत व्याख्या की
उन्होंने विवेक, चूडा और मणि शब्द की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि नित्य और अनित्य वस्तुओं को जान लेना विवेक कहलाता है। चूडा का अर्थ सिर का ऊपरी भाग है, जहां शिखा रहती है और मणि का अर्थ शीतलता प्रदान करने वाला ज्ञान है। आगे कहा, “जिस प्रकार सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में से एक चूडाकरण संस्कार होता है, जिसमें जातक का मुण्डन करवाया जाता है, उसी प्रकार यह विवेक चूडामणि भगवत्पाद शङ्कराचार्य द्वारा शिष्यों के लिए किया गया चूडाकरण ही है। जैसे चूडाकरण संस्कार के बाद जातक का कर्ण छेदन संस्कार होता है, उसी प्रकार भगवत्पाद इस ग्रन्थ के माध्यम से अपने शिष्यों को वेदान्त ज्ञान का उपदेश प्रदान कर रहे हैं।”
“सनातनी के लिए शिखा मुकुट स्वरूप है”
शङ्कराचार्य जी ने कहा कि प्रत्येक सनातनधर्मियों के सिर पर सदा चूडा अर्थात् शिखा रहती ही है। यह शिखारूपी मुकुट है, जो सबकी शोभा बढाती है। राजा का मुकुट तो कभी न कभी उतर जाता है पर सनातनधर्म का यह मुकुट सदा सिर पर शोभायमान रहता है। ज्ञातव्य है कि ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य जी महाराज अपने चातुर्मास्य व्रत के लिए दो माह नरसिंह सेवा सदन पीतमपुरा दिल्ली में निवास करेंगे। यहां की धर्मप्राण जनता की धार्मिक जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे। शंकराचार्य जी महाराज का दर्शन प्रातः ठीक 6.45 बजे और पूर्वाह्न ठीक 9.45 बजे होता है। सायं 5 से 7 बजे तक विविध धर्म विषय पर प्रवचन होता है। शङ्कराचार्य जी महाराज 5 समय की नियमित पूजा करते हैं। भगवत्पाद आदि शङ्कराचार्य की परम्परा से प्राप्त चन्द्रमौलीश्वर भगवान की पूजा तथा ज्योतिर्मठ के 54 पूर्वाचार्यों के शिवलिंग के दर्शन यहाँ हो जाएंगे।
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