यूपी की बेटी हमीदा बानो पर Google ने बनाया डूडल : दुनिया का कोई मर्द नहीं दे सका टक्कर, एक क्लिक में पढ़े महिला पहलवान की कहानी

दुनिया का कोई मर्द नहीं दे सका टक्कर, एक क्लिक में पढ़े महिला पहलवान की कहानी
UPT | Hamida Banu

May 04, 2024 17:16

गूगल ने आज चार मई को भारतीय पहलवान हमीदा बानो को समर्पित एक विशेष डूडल लॉन्च किया। यह डूडल हमीदा बानो के जीवन और उनकी उपलब्धियों को समर्पित है। हमीदा बानो, जिन्हें अलीगढ़...

May 04, 2024 17:16

New Delhi News : गूगल ने आज चार मई को भारतीय पहलवान हमीदा बानो को समर्पित एक विशेष डूडल लॉन्च किया। यह डूडल हमीदा बानो के जीवन और उनकी उपलब्धियों को समर्पित है। हमीदा बानो, जिन्हें अलीगढ़ की अमेजन के रूप में भी जाना जाता है। हमीदा बानो ने भारतीय महिला खिलाड़ियों में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई। जिसके लिए वह आज भी भारतीय कुश्ती के इतिहास में अहम रूप से याद की जाती हैं। इस डूडल को बेंगलूरू की गेस्ट कलाकार दिव्या नेगी ने तैयार किया है। डूडल के बैकग्राउंड में Google लोगो के साथ-साथ स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का छवि है।

यूपी के मिर्जापुर में जन्मी हमीदा
खुद को सामाजिक परिवर्तन के रास्ते में सशक्त करते हुए, हमीदा बानो ने उत्तर प्रदेश के छोटे शहर मिर्जापुर में जन्म लिया। हमीदा की बचपन से ही कुश्ती में दिलचस्पी थी, परंतु उनका सपना एक प्रशिक्षित पहलवान बनने का हमेशा ही बना रहा। उस समय कुश्ती का क्षेत्र पुरुषों के लिए ही सीमित था और महिलाओं के लिए यह केवल एक विचित्र खेल ही था। हमीदा ने जब अपने परिवार से कुश्ती लड़ने की बात की तो उन्हें सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ खूब खरी-खोटी सुननी पड़ी। लेकिन अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने बगावत का निर्णय लिया और अलीगढ़ की ओर अपने कदम बढ़ाए। यहां, उन्होंने सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखा और अपनी कौशल को मजबूत किया।

शादी के लिए रखी अनोखी शर्त
1940-50 के दशक में, भारतीय पहलवानी की अद्वितीय शूरवीर, हमीदा बानू, देश की प्रमुख रेसलर थीं। उन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए नई पहचान स्थापित की और रेसलिंग के क्षेत्र में अपनी अद्भुत प्रतिष्ठा की बुनियाद रखी। हमीदा बानू ने एक अद्वितीय और रोचक शर्त रखी कि जो भी पहलवान उन्हें रेसलिंग मैच में हरा देगा, वह उससे शादी कर लेगी। इस शर्त को लेकर उनका उद्योग भी काफी प्रसिद्ध हुआ। हमीदा बानू ने , पंजाब और बंगाल के चैंपियन पहलवानों को हराया। उनकी अद्भुत खेल की वजह से, उन्हें विभिन्न राज्यों के महाराजाओं और राजनेताओं का समर्थन मिला। हालांकि, इस शर्त के बावजूद, कोई भी पहलवान हमीदा बानू को हरा नहीं पाया। उनकी शक्तिशाली खेल के सामने, अनेक प्रतियोगी थक जाते थे और मैच से पीछे हट जाते थे। इसके बाद, हमीदा बानू ने तत्कालीन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मोरारजी देसाई को खत लिखकर अपनी शिकायत दर्ज कराई कि उनके मैचों पर अनाधिकारिक बैन लगा दिया गया है। हालांकि, देसाई ने इस विवाद को खंडन किया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है।

डाईट बनी चर्चा का विषय
भारतीय महिला पहलवान हमीदा बानू के रेसलिंग के किरदार में उनके आयाम और साहस का जिक्र करना सबसे पहले उनकी विशेषता है। उन्होंने अपनी अनोखी प्रकृति और महान कौशल के साथ रेसलिंग के मैदान में अपनी अलग पहचान बनाई। हमीदा बानू का रेसलिंग में अहम योगदान उनके शारीरिक रूप से सजीव और प्रबल शक्ति पर आधारित है। उनकी शक्ति और टकटकी का एक बड़ा कारक था, जो उन्हें प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ अव्याज्य बनाता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी लंबाई लगभग 5 फीट 3 इंच थी और उनका वजन 108 किलोग्राम था, जो उन्हें खासतौर पर शक्तिशाली बनाता था।

पति का कारण छोड़ी रेसलिंग
उनका दैनिक आहार उनकी शक्ति और टोनिंग को बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान देता था। उनके दिन के आहार में बहुत सारे प्रोटीन स्रोत शामिल थे। जैसे कि दूध, सूप, मटन, मुर्गा, अंडे, और बादाम। इसके अलावा, उनका आहार उच्च कैलोरी और पोषक तत्वों से भरपूर था, जिससे उनके शारीरिक जोश को बनाए रखने में मदद मिलती थी। हमीदा बानू ने भारतीय रेसलिंग की दुनिया में अपनी जगह बनाई, लेकिन उनके रेसलिंग करियर में अचानक बदलाव आया। उनके पति और कोच सलाम पहलवान के साथ उनके यूरोप जाने का फैसला विवाद का कारण बना। इसके परिणामस्वरूप, हमीदा बानू ने रेसलिंग की दुनिया से संबंध तोड़ लिया। उन्हें बहुत अत्याचार किया गया था, जिसका परिणाम उनके पैरों के टूटने तक पहुंच गया था। इस दुखद घटना के बाद, वह कभी भी रेसलिंग में वापस नहीं लौट पाई।

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