यूपी में मानसून की मार : बारिश के बीच क्यों गिरती है आकाशीय बिजली, थोड़ी सावधानी अपना कर टाल सकते हैं बड़ा खतरा, जानिए सब कुछ 

बारिश के बीच क्यों गिरती है आकाशीय बिजली, थोड़ी सावधानी अपना कर टाल सकते हैं बड़ा खतरा, जानिए सब कुछ 
UPT | आसमान से क्यों गिरती है बिजली?

Jun 29, 2024 12:50

आखिर कैसे बनती है आसमानी बिजली, जो जमीन पर गिरने पर जानलेवा साबित होती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

Jun 29, 2024 12:50

UPT News Desk : उत्तर प्रदेश में मानसून (Monsoon) का आगमन हो चुका है, और इसके साथ ही आकाशीय बिजली (Lightning) की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। पिछले कुछ दिनों में, राज्य के विभिन्न हिस्सों में आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की जान चली गई है। आखिर कैसे बनती है आसमानी बिजली, जो जमीन पर गिरने पर जानलेवा साबित होती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। आईए समझते हैं इससे आखिर कैसे बचना चाहिए। 

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आकाशीय बिजली का विज्ञान
आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक घटना है, जिसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। 18वीं सदी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने इस घटना के पीछे के विज्ञान को समझाया था। उन्होंने बताया कि जब आकाश में बादल छाए होते हैं, तो उनमें मौजूद पानी के सूक्ष्म कण वायु के घर्षण के कारण विद्युत आवेशित हो जाते हैं। कुछ बादलों में धनात्मक(+) आवेश उत्पन्न होता है, जबकि अन्य में ऋणात्मक(-) आवेश। जब ये विपरीत आवेश वाले बादल एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं, तो उनके बीच लाखों वोल्ट की विद्युत धारा प्रवाहित होती है। यह प्रक्रिया आकाशीय बिजली के रूप में दिखाई देती है।

गड़गड़ाहट का कारण, चमक और ध्वनि का अंतर
जब विद्युत धारा बादलों के बीच प्रवाहित होती है, तो यह वायु को तीव्रता से गर्म करती है। इस गर्मी के कारण वायु का तेजी से प्रसार होता है, जिससे वायु के कण एक-दूसरे से टकराते हैं। यह टकराव ही वह गड़गड़ाहट है, जो हम आकाशीय बिजली के साथ सुनते हैं। हम अक्सर देखते हैं कि बिजली की चमक पहले दिखाई देती है और उसके कुछ क्षण बाद गड़गड़ाहट सुनाई देती है। इसका कारण यह है कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से बहुत अधिक होती है। प्रकाश लगभग 300,000 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चलता है, जबकि ध्वनि केवल 343 मीटर प्रति सेकंड की गति से चलती है।



क्यों गिरती है आकाशीय बिजली?
जब विद्युत आवेशित बादल पृथ्वी के किसी ऊंचे स्थान, जैसे पेड़ या इमारत के निकट आते हैं, तो उनमें विपरीत आवेश उत्पन्न हो जाता है। जब यह आवेश एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, तो बादल से विद्युत धारा उस वस्तु में प्रवाहित होने लगती है। इसी घटना को हम आकाशीय बिजली का गिरना कहते हैं।

जोखिम वाले क्षेत्र
कुछ स्थान और गतिविधियां आकाशीय बिजली के लिए अधिक जोखिम भरे होते हैं। खुले खेतों में काम करने वाले किसान, पेड़ों के नीचे आश्रय लेने वाले लोग, और तूफान के दौरान जलाशयों में तैरने वाले व्यक्ति विशेष रूप से खतरे में होते हैं। इसलिए, जब भी आकाश में बिजली चमकती दिखाई दे, तो इन स्थानों से तुरंत दूर हो जाना चाहिए।

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बचाव के उपाय
आकाशीय बिजली से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है।

- घर के अंदर सुरक्षा
  • बिजली के उपकरणों से दूर रहें।
  • तार वाले टेलीफोन का उपयोग न करें।
  • खिड़कियां और दरवाजे बंद कर दें।
  • बरामदे और छत पर न जाएं।
  • धातु के पाइप, नल, और अन्य विद्युत चालक वस्तुओं से दूर रहें।

- बाहर की सुरक्षा
  •  ऊंचे पेड़ों और इमारतों से दूर रहें।
  • खुले मैदान में अकेले खड़े न हों।
  • नदी, तालाब या अन्य जलाशयों से दूर रहें।
  • यदि संभव हो तो किसी मजबूत इमारत में आश्रय लें।

- यात्रा के दौरान
  • अपने वाहन में ही रहें, विशेषकर बंद छत वाले वाहन में।
  • खुली छत वाले वाहनों से बचें।
  • बाइक या साइकिल चलाने से बचें।
  • बिजली के खंभों और तार की बाड़ से दूर रहें।

- जल निकायों के पास
  • तालाब, नदी या समुद्र से तुरंत बाहर निकल जाएं।
  • नाव में हों तो किनारे की ओर बढ़ें।

- शारीरिक संकेत
  •  यदि आपके बाल खड़े हो जाएं या त्वचा में झुनझुनी महसूस हो, तो यह आसपास बिजली गिरने का संकेत हो सकता है।
  •  ऐसी स्थिति में तुरंत नीचे झुक जाएं और अपने कान बंद कर लें।

- प्राथमिक चिकित्सा
  • यदि किसी व्यक्ति को आकाशीय बिजली का झटका लग जाए, तो तत्काल प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है:
  • तुरंत मेडिकल सहायता के लिए कॉल करें।
  • यदि व्यक्ति की सांस या हृदय गति रुक गई हो, तो कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) प्रारंभ करें।
  • व्यक्ति को गर्म और शुष्क रखें।
  • जलने के निशान हों तो उन्हें ठंडे पानी से धोएँ और साफ कपड़े से ढक दें।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
प्राचीन काल में लोग आकाशीय बिजली को देवताओं का प्रकोप मानते थे। वे सोचते थे कि जब देवता क्रोधित होते हैं, तो वे आकाश से बिजली गिराते हैं। हालांकि, आधुनिक विज्ञान ने इस घटना के पीछे के वास्तविक कारणों को समझा दिया है। वर्तमान में, वैज्ञानिक आकाशीय बिजली के पैटर्न और उसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। वे इस घटना को बेहतर ढंग से समझने और इससे बचाव के उपाय विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। उदाहरण के लिए, कई शहरों में अब आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तड़ित चालक (लाइटनिंग कंडक्टर) लगाए जाते हैं।

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जागरूकता का महत्व
आकाशीय बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जन-जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को चाहिए कि वे लोगों को इस विषय पर शिक्षित करें। स्कूलों और कॉलेजों में इस विषय पर विशेष कक्षाएं आयोजित की जा सकती हैं। मीडिया भी इस संदेश को व्यापक स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां बड़ी संख्या में लोग कृषि कार्यों में संलग्न हैं, आकाशीय बिजली से बचाव के उपायों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों को सिखाया जाना चाहिए कि तूफान के दौरान वे कैसे सुरक्षित रह सकते हैं। खेतों में आश्रय स्थल बनाए जा सकते हैं जहां लोग तूफान के दौरान शरण ले सकें।

आधुनिक तकनीक का उपयोग
आजकल कई मोबाइल एप्लिकेशन उपलब्ध हैं जो आकाशीय बिजली की चेतावनी देते हैं। लोगों को इन एप्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए। 

थोड़ी सावधानी अपना कर टाल सकते हैं बड़ा खतरा
आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक घटना है जिसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को निश्चित रूप से कम किया जा सकता है। सही जानकारी, सावधानी और तत्परता से हम अपने और अपने प्रियजनों की जान बचा सकते हैं। यह समय की मांग है कि हम इस विषय पर गंभीरता से विचार करें और आवश्यक कदम उठाएं। उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर विशेष अभियान चलाए। स्थानीय प्रशासन, पंचायतों और सामुदायिक संगठनों को इस कार्य में शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही, मीडिया को भी इस विषय पर लगातार रिपोर्टिंग करनी चाहिए ताकि लोग सतर्क रहें।

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