इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया अहम निर्देश : पॉक्‍सो मामलों में उम्र निर्धारण के लिए डॉक्टरों को मिले विशेष ट्रेनिंग, नहीं होनी चाहिए खानापूरी

पॉक्‍सो मामलों में उम्र निर्धारण के लिए डॉक्टरों को मिले विशेष ट्रेनिंग, नहीं होनी चाहिए खानापूरी
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 12, 2024 12:44

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्‍सो (POCSO) एक्ट के तहत मामलों में पीड़िताओं की उम्र निर्धारण को लेकर डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

Oct 12, 2024 12:44

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्‍सो (POCSO) एक्ट के तहत मामलों में पीड़िताओं की उम्र निर्धारण को लेकर डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की उम्र का निर्धारण करते समय डॉक्टरों को वैज्ञानिक मापदंडों और चिकित्सा आधारों का पालन करना चाहिए। वर्तमान में, मेडिकल रिपोर्ट में बिना किसी कारण या निष्कर्ष के यांत्रिक तरीके से उम्र दर्ज की जा रही है, जो गलत है। 

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इस मामले में दिया निर्देश
यह आदेश उस समय आया जब कोर्ट ने एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। मामला एटा जिले के थाना कोतवाली देहात का था, जहां धर्मेंद्र नामक व्यक्ति पर पॉक्‍सो और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोपी धर्मेंद्र 7 दिसंबर 2023 से जेल में बंद था और उसने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। 



याची के वकील ने दिया ये तर्क
याची के वकील ने तर्क दिया कि पीड़िता की उम्र एफआईआर में 15 साल बताई गई थी ताकि उनके मुवक्किल को पॉक्‍सो एक्ट के कड़े प्रावधानों के तहत झूठा फंसाया जा सके। वकील ने यह भी कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने स्कूल के रिकॉर्ड में गलत उम्र दर्ज कराई थी, और इस रिकॉर्ड का कोई वैधानिक आधार नहीं है। याची और पीड़िता के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे और उनकी शादी भी हुई थी।

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कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट पर जताई नाराजगी
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट में पाए गए खामियों पर नाराजगी जताई। रिपोर्ट में पीड़िता की उम्र के संबंध में स्पष्ट वैज्ञानिक निष्कर्ष नहीं थे। कोर्ट ने इस पर ध्यान देते हुए कहा कि सिर्फ उम्र की जानकारी भर देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे ठोस चिकित्सा और वैज्ञानिक आधारों पर निर्धारित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि पॉक्‍सो एक्ट के तहत मामलों में डॉक्टरों को पीड़िता की उम्र निर्धारण के संबंध में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी खामियां न हो।

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