इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को नहीं दी राहत : स्टूडेंट्स को दिखाता था अश्लील फोटो, POCSO Act में दर्ज हुआ था केस

स्टूडेंट्स को दिखाता था अश्लील फोटो, POCSO Act में दर्ज हुआ था केस
UPT | Allahabad High Court

Oct 22, 2024 15:20

बता दें पीड़ित स्टूडेंट्स की उम्र जो 9 से 13 वर्ष के बीच थी। यूपी पुलिस ने आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ धारा 354, 354-का, 376 एबी आईपीसी, धारा 9 एम/10 और 5 एमएफ/6 POCSO Act और धारा 3(2)5 SC/ST Act के तहत मामला दर्ज किया था...

Oct 22, 2024 15:20

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण के मामले में सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को जमानत देने से इनकार कर दिया है। मामला बुलंदशहर जिले के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल से जुड़ा है। प्रिंसिपल को मार्च में छात्रों का यौन शोषण करने और उन्हें अपने मोबाइल फोन पर अश्लील चीजें दिखाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चूंकि मामला नाबालिग बच्चों से जुड़ा है, इसलिए जस्टिस कृष्ण पहल की बेंच ने आवेदक (प्रताप सिंह) को जमानत देने के लिए उपयुक्त नहीं पाया।

POCSO Act के तहत मामला दर्ज
बता दें कि पीड़ित छात्रों की उम्र 9 से 13 साल के बीच थी। यूपी पुलिस ने आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ धारा 354, 354-का, 376 एबी आईपीसी, धारा 9 एम/10 और 5 एमएफ/6 पोक्सो एक्ट और धारा 3(2)5 एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।


 
छह बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया
आरोपी प्रिंसिपल छात्रों से छेड़छाड़ करता था, उनके निजी अंगों को गलत तरीके से छूता था। वह उन्हें अपने मोबाइल पर अश्लील सामग्री दिखाता था। यह भी आरोप है कि आरोपी की कथित हरकतों के कारण ओबीसी और एससी वर्ग के छह बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है।

जमानत की मांग में दिए गए ये तर्क
इस मामले में जमानत मांगते हुए प्रिंसिपल के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि पीड़ित परिवार ये आरोप इसलिए लगा रहा है क्योंकि उन्हें राज्य से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है। प्रिंसिपल को इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है।

इसके बाद प्रिंसिपल के वकील ने एक और तर्क देते हुए कहा कि आरोपी को खांसी थी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसलिए उसे 10 मार्च से 25 मार्च 2024 (जिस अवधि में कथित अपराध किया गया) के बीच आराम करने की सलाह दी गई थी। यानी प्रिंसिपल ने ऐसा कुछ नहीं किया है, उसे फंसाया जा रहा है।

इसके साथ ही वकील ने यहां तक ​​कहा कि आरोपी पहले कैंसर का मरीज था और उसे दोबारा भी यह बीमारी होने की पूरी संभावना है, वह 25 मार्च 2024 से जेल में है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

राज्य सरकार के वकील का तर्क
वहीं राज्य सरकार के वकील ने इस आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया कि उक्त पीड़ितों की उम्र 9 से 13 वर्ष के बीच है। ऐसे में अपराध गंभीर है। साथ ही कहा गया कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत मेडिकल प्रमाण पत्र फर्जी है। इन दलीलों के मद्देनजर एकल न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज कर दी।

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