बाबरी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जहां पर लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य नेताओं को बरी करने का विरोध किया गया था।
बाबरी विध्वंस कांड : इलाहाबाद हाई कोर्ट से लाल कृष्ण आडवाणी को मिली थी क्लीन चिट, फिर भी...
Feb 03, 2024 15:01
Feb 03, 2024 15:01
याचिकाकर्ताओं का क्या तर्क था?
आपको बता दें कि सबसे पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 32 लोगों को बरी कर दिया था। उस आदेश को फिर दो याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। तब कहा गया था कि जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, उस समय वे वहां पर मौजूद थे। उनके घरों को भी नुकसान पहुंचा था। ये भी आरोप लगाया गया था कि जांच एजेंसियों ने आरोपियों को बचाने का काम किया और सरकार द्वारा भी पीड़ित परिवारों की कोई मदद नहीं की गई। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाई कोर्ट ने की थी याचिका खारिज
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दी गई थी। सीबीआई (CBI) ने अपने पिछले आदेश में ही ये साफ कहा था कि मस्जिद को गिराने की कोई साजिश नहीं बनी थी और इसी वजह से आडवाणी समेत दूसरे नेताओं को बरी किया गया था। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को सही बताया है और याचिका खारिज कर दी थी।
कौन थे याचिकाकर्ता?
अयोध्या विवादित ढांचा मामले में लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य आरोपियों को बरी करने के खिलाफ याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई थी। ये याचिका अयोध्या के रहने वाले हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद की तरफ से दायर की गई थी। इसमें दावा किया गया कि वह दोनों 6 दिसंबर 1992 विवादित ढांचा मामले के गवाह हैं, उस घटना में उनका घर भी जल गया था, ऐसे में वह इसके शिकार भी हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी ने आरोपियों को बचाने की भूमिका निभाई। जबकि पीड़ित पक्ष को राज्य सरकार, पुलिस और सीबीआई से मदद नहीं मिली।
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