मामला में एफआईआर आईपीसी के तहत दर्ज करने के का फैसला इस तरफ इशारा करता है कि पुरानी कानूनी निरंतरता बनी रहेगी और अपराधियों को किसी भी तरह की कानूनी खामी का लाभ न मिल सकेगी...
इलाहाबाद हाईकोर्ट : 1 जुलाई या बाद के अपराधों पर IPC, जांच BNSSS के तहत
Aug 16, 2024 20:46
Aug 16, 2024 20:46
एफआईआर और जांच प्रक्रिया पर दिशा-निर्देश
न्यायालय के निर्णय के अनुसार, यदि कोई अपराध 1 जुलाई, 2024 या उसके बाद किया गया है, तो उसकी एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत ही दर्ज की जाएगी। हालांकि, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में जांच प्रक्रिया नए कानून, यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के अनुसार ही चलेगी।
पुराने कानून की निरंतरता बरकरार
मामला में एफआईआर आईपीसी के तहत दर्ज करने के का फैसला इस तरफ इशारा करता है कि पुरानी कानूनी निरंतरता बनी रहेगी और अपराधियों को किसी भी तरह की कानूनी खामी का लाभ न मिल सकेगी। वहीं जांच प्रक्रिया में शामिल नया कानून लागू करना जांच एजेंसियों को नए कानून के तहत उपलब्ध आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं का लाभ उठाने की अनुमति देता है, जिससे जांच की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार होने की उम्मीद है।
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