इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में चार आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस घटना में पीड़िता की सहमति शामिल थी...
दुष्कर्म मामले में चार आरोपी बरी : हाईकोर्ट ने बरकरार रखा ट्रायल कोर्ट का फैसला, पीड़िता की सहमति थी...
Oct 23, 2024 15:03
Oct 23, 2024 15:03
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सबूतों के अभाव में चारों आरोपी बरी
ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के आधार पर यह पाया कि पीड़िता बालिग है और उसने आरोपी के साथ अपनी मर्जी से घर छोड़ दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब उसे मदद मांगने का अवसर मिला, तब उसने किसी से सहायता नहीं ली। इस स्थिति में अपहरण की बात उचित नहीं लगती। इसके चलते यह स्पष्ट होता है कि वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ गई थी। इसके अलावा, उसके खिलाफ संबंध बनाए जाने के आरोप भी साबित नहीं होते हैं।
यह था मामला
कानपुर देहात के थाने में 22 अप्रैल 2009 को एक शिकायतकर्ता ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म और अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। उसने आरोप लगाया कि 7 अप्रैल 2009 को आरोपियों बलवान सिंह, अखिलेश, सिया राम और विमल चंद्र तिवारी ने उसकी बेटी का अपहरण किया। पुलिस ने पीड़िता को 3 मई 2009 को आरोपी बलवान सिंह के साथ बरामद किया।
15 दिन की देरी से FIR
आरोपियों को आरोपों से बरी कर दिया गया। इससे पहले, राज्य सरकार ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। खंडपीठ ने मामले के तथ्यों की जांच की और पाया कि घटना के 15 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष ने इस देरी का उचित कारण भी नहीं बताया।
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हाईकोर्ट ने खारिज की सरकार की अपील
अदालत ने कहा कि पीड़िता अपनी गवाही के अनुसार 25-26 दिनों तक आरोपी बलवान के साथ रही, फिर भी उसने यात्रा के दौरान राहगीरों से सहायता मांगने की कभी कोशिश नहीं की। मेडिको-लीगल जांच रिपोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की पुष्टि नहीं की। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर संदेह करने का कोई कारण नहीं पाया और राज्य की अपील को खारिज कर दिया।
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