हर साल लाखों लोग, देश-विदेश से, इन नदियों के पवित्र जल में स्नान करके अपनी आस्था को प्रकट करते हैं और सनातन परंपरा का पालन करते हैं। इस आस्था को बनाए रखने और इन नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 500 गंगा प्रहरी दिन-रात काम कर रहे हैं...
महाकुंभ 2025 : स्थानीय लोगों को मिली जिम्मेदारी, 25 घाटों पर शिफ्ट में काम करेंगे गंगा प्रहरी
Nov 17, 2024 14:10
Nov 17, 2024 14:10
- 500 गंगा प्रहरी दिन-रात तैनात
- जलीय जीवों के शिकारी बने रक्षक
- गंगा प्रहरियों को ट्रेनिंग के साथ रोजगार से जोड़ा गया
गंगा प्रहरीयों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
बता दें कि इन गंगा प्रहरीयों को न केवल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि उन्हें रोजगार से भी जोड़ रही है। इन प्रहरीयों की भूमिका महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में और भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इनकी मेहनत से ही संगम के दोनों नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित की जा सकेगी। यह प्रयास गंगा और यमुना की निरंतर सफाई को बनाए रखने में मदद करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के स्थानीय लोगों को भी सशक्त बनाएगा।
शिफ्ट में काम करेंगे गंगा प्रहरी
दरअसल, प्रयागराज में छोटे-बड़े करीब 25 घाट हैं। महाकुंभ के दौरान इन सभी घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ने वाला है। ऐसे में घाटों के साथ साथ गंगा और यमुना नदी की स्वच्छता को बनाए रखना एक चुनौती होगी। हालांकि, प्रत्येक घाट पर तैनात गंगा प्रहरी इसे लेकर आश्वस्त हैं। वह निरंतर नदियों और घाटों की सफाई में जुट हुए हैं और साथ ही श्रद्धालुओं को भी नदियों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
देश भर से बुलाए जा रहे गंगा प्रहरी
प्रत्येक घाट पर 15 से 20 गंगा प्रहरी गंगा और यमुना दोनों ही नदियों की स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। महाकुंभ के दौरान यह शिफ्ट में काम करेंगे। वहीं, पूरे देश से चुनिंदा 200 से अधिक गंगा प्रहरी यहां बुलाए जा रहे हैं, ताकि गंगा और यमुना की स्वच्छता बनाए रखने में जनशक्ति की कमी न हो।
जलीय जीवों का संरक्षण
प्रयागराज में नमामि गंगे परियोजना के तहत वन्य जीव संस्थान के माध्यम से ये गंगा प्रहरी लगातार नदियों और घाटों की स्वच्छता के साथ साथ जलीय जीवों के संरक्षण में जुटे हुए हैं। जलज योजना में असिस्टेंट कॉर्डिनेटर की भूमिका निभा रहे चंद्रा कुमार निषाद के अनुसार, गंगा और यमुना नदियों में लाखों लोग डुबकी लगाते हैं, लेकिन अगर जल स्वच्छ न हो तो उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है।
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जाल के माध्यम से निकाले जा रहे अपशिष्ट पदार्थ
उन्होंने कहा कि हमारी टीम दिन रात घाटों पर स्वच्छता अभियान चलाती है। घाट के साथ-साथ नदी में जो अपशिष्ट पदार्थ होते हैं उन्हें भी जाल के माध्यम से निकालकर नदी को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा, हम श्रद्धालुओं को भी जागरूक करते हैं कि वो घाट और नदी दोनों ही जगह स्वच्छता का ध्यान रखें। इसमें कूड़ा या फूल माला न फेंके। इसके बावजूद जो लोग फूल या अन्य गंदगी फेंकते हैं तो हम तुरान जाल और अन्य इक्विपमेंट से उठा लेते हैं।
स्थानीय लोगों को मिली जिम्मेदारी
उन्होंने बताया कि डबल इंजन की सरकार नदियों की स्वच्छता पर अच्छा काम कर रही है। नमामि गंगे परियोजना के तहत जो सबसे अच्छा काम हुआ है वो यह की नदियों की सुरक्षा और स्वच्छता की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को दे दी गई है। जिन लोगों की आय का प्रमुख स्रोत जलीय जीवों का शिकार था, वही अब उनके रक्षक बन गए हैं। इसकी वजह से नदी में कछुओं, डॉल्फिन्स, मछलियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अगर जलीय जीवों को बचा लिया जाए तो नदी कभी गंदी नहीं होगी, क्योंकि ये जीव नदी को साफ करने का कार्य करते हैं।
बढ़ रहे आय के स्रोत
वन विभाग के आईटी हेड आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि योगी सरकार ने स्थानीय लोगों को जलीय जीवों के शिकार के बजाय अन्य आय के स्रोतों से जोड़ने की पहल की है, जिससे जलीय जीवों का संरक्षण सुनिश्चित हुआ है। अर्थ गंगा योजना (जलज योजना) के अंतर्गत स्थानीय महिलाओं को सिलाई, ब्यूटीपार्लर, धूपबत्ती, जूट के थैले बनाने की ट्रेनिंग निःशुल्क कराई जा रही है। अब तक 100 से 150 गांवों की 700 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग और रोजगार से जोड़ा गया है।
दिया जाएगा एक निश्चित मानदेय
वहीं, पुरुषों को भी गोताखोरी के अलावा, वन्य विभाग से अन्य टास्क दिए जा रहे हैं, जिससे इन्हें आर्थिक सहायता भी मिल रही है। महाकुंभ में इन्हें एक निश्चित मानदेय भी प्रदान किया जाता है। इससे नदियों पर इनकी निर्भरता कम हुई है और अब ये नदियों की सुरक्षा के सारथी बन गए हैं। यही लोग घाटों पर अभियान चलाकर लोगों को गंगा और यमुना की स्वच्छता के लिए जागरूक कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की करेंगे मदद
चंद्रा कुमार निषाद ने बताया कि महाकुंभ के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी गई है। स्वच्छ महाकुंभ के साथ ही उनकी टीम लोगों की मदद भी करेगी। लोगों को स्नान कराने के साथ-साथ अगर घाट पर कोई खो जाता है तो उसको खोया पाया केंद्र तक पहुंचाया जाएगा। यही नहीं, स्नानार्थियों को घर पर उपलब्ध सेवाओं और सुविधाओं से भी परिचित कराया जाएगा। सुरक्षा कर्मियों के साथ ही हमारी टीम भी घाट पर स्नानार्थियों पर नजर रखेगी और किसी भी आपात स्थिति में लोगों की मदद और उनकी जान बचाने के लिए तत्परता से कार्य करेगी।
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