महाकुंभ 2025 के मद्देनजर रविवार को संन्यासी परंपरा के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के संत-महात्माओं ने पूरे शाही वैभव के साथ नगर प्रवेश किया।
महाकुंभ मेला : जूना अखाड़े ने राजसी रथों पर सवार होकर किया नगर प्रवेश, किन्नर अखाड़ा भी हुआ शामिल
Nov 03, 2024 17:36
Nov 03, 2024 17:36
- राजसी जुलूस में अखाड़ों के महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर ,महंत, श्री महंत, जगद्गुरु और दूसरे संत महात्मा शामिल
- जूना अखाड़े के नगर प्रवेश का जुलूस झूंसी के रामापुर रोकड़िया स्थित हनुमान मंदिर से शुरू हुआ
- इस बार जुलूस में घोड़े शामिल किए गए थे। लेकिन सरकार के अनुरोध पर हाथी को शामिल नहीं किया गया
- अखाड़ों के संतों के नगर प्रवेश के साथ ही महाकुंभ की अनौपचारिक शुरुआत भी हो गई है
रथों और बग्घियों पर सवार होकर संतो ने किया नगर प्रवेश
रथों और बग्घियों पर सवार होकर गाजे बाजे और बैंड पार्टियों के बीच अखाड़े के संत महात्मा और नागा संन्यासी नगर में दाखिल हुए। इस राजसी जुलूस में सबसे आगे श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के रमता पंच चल रहे थे। वहीं जुलूस में घोड़े पर नागा संन्यासी और दूसरे संत भी सवार थे। किन्नर संतों ने भी जूना अखाड़े के संत महात्माओं के साथ पूरे राजसी वैभव के साथ नगर प्रवेश किया। हालांकि इस बार जुलूस में घोड़े शामिल किए गए थे। लेकिन सरकार के अनुरोध पर हाथी को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि हाथी के शामिल होने से होने वाली दुर्घटनाओं की आशंका को देखते हुए सरकार ने नगर प्रवेश के राजसी जुलूस में हाथी को शामिल न करने की अपील की थी।
चांदी के हौदों पर सवार महामंडलेश्वर व दूसरे संत आकर्षण का केंद्र रहे
नगर प्रवेश जुलूस में रथों पर रखे चांदी के हौदों पर सवार महामंडलेश्वर व दूसरे संत आकर्षण का केंद्र रहे। जूना अखाड़े के साधु- संतो ने राजसी अंदाज़ में गाजे- बाजे और घोड़ों के साथ जब शहर में प्रवेश किया तो फूलों की बारिश कर उनका स्वागत किया गया। अखाड़ों के संतों के नगर प्रवेश के साथ ही महाकुंभ की अनौपचारिक शुरुआत भी हो गई है। राजसी जुलूस में सबसे आगे घोड़ों पर सवार होकर ढोल पीटकर लोगों को अपने आगमन का सन्देश देते नागा संन्यासी थे, तो उनके पीछे जूना अखाड़े के आराध्य भगवान दत्तात्रेय की स्थापित मूर्ति थी। अखाड़े की धर्म ध्वजा भी इस राजसी जुलूस में शान से लहरा रही थी।
जूना अखाड़े ने ढाई हजार साल पुरानी परंपरा निभाई
करीब ढाई हज़ार साल पुरानी परम्परा को निभाते हुए जूना अखाड़े के संन्यासियों के महाकुम्भ मेला आगमन को राजसी अंदाज़ देने के लिए देश के कई हिस्सों से बैंड पार्टियां बुलाई गई थी। जूना और किन्नर अखाड़े के इन संत महात्माओं का राजसी नगर प्रवेश देखने के लिए शहर में जगह- जगह लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी। कोई संतों को नमन कर तो कोई फूल चढ़ाकर अखाड़े के इन नागा सन्यासियों का दर्शन करते हुए इनका आशीर्वाद ले रहा था।
14 दिसंबर को महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़े की पेशवाई निकाली जाएगी
जूना और किन्नर अखाड़े के संत महात्मा झूंसी के रामपुर रोकड़िया हनुमान मंदिर से कीडगंज मौज गिरी आश्रम पहुंचे। आश्रम पहुंचने से पहले तमाम संत महात्मा और नागा संन्यासी पैदल जुलूस में शामिल हो गए। नगर प्रवेश के बाद जूना अखाड़े और किन्नर अखाड़े के संत महात्मा अलग-अलग आश्रमों और दूसरी जगहों पर ठहराए जाएंगे। जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी के मुताबिक देश के कोने-कोने से आए जूना अखाड़े के संत महात्मा यमुना नदी के तट पर रहेंगे। यहां से 14 दिसंबर को महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़े की पेशवाई निकाली जाएगी। इसके बाद जूना अखाड़े के संत महात्मा, जगतगुरु, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, श्री महंत और अन्य पदाधिकारी महाकुंभ स्थित छावनी में प्रवेश करेंगे और अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित करेंगे। इसके बाद पूरे महाकुंभ में यहीं पर रहकर कठिन साधना करेंगे और शाही स्नान भी करेंगे।
नगर प्रवेश में रास्ते भर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए
जूना अखाड़े के नगर प्रवेश में जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरी, अध्यक्ष महंत प्रेमगिरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरी, काशी सुमेरु पीठाधीश्वर नरेंद्रानंद सरस्वती समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर और संत महात्माओं ने भी खास अंदाज में नगर प्रवेश किया। किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और संस्थापक स्वामी लक्ष्मी नारायण के साथ ही महामंडलेश्वर व प्रदेश अध्यक्ष कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां, महामंडलेश्वर कल्याणी नंद गिरी और महामंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरि खास तौर पर नगर प्रवेश जुलूस में शामिल हुईं। किन्नर अखाड़े के संतों की ओर से नगर प्रवेश में रास्ते भर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए।
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