इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव मुस्लिमों पर दिए गए बयान के बाद से काफी सुर्खियों में हैं। जस्टिस शेखर अपने बयान को लेकर बेहद सख्त रुख अख्तियार किए हुए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब देकर स्थिति साफ कर...
Prayagraj News : अपने बयान पर कायम हैं जस्टिस शेखर यादव, CJI को भेजा जवाब, ये है पूरा मामला...
Jan 17, 2025 17:24
Jan 17, 2025 17:24
जस्टिस शेखर यादव ने लिखी चिट्ठी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने मुस्लिमों पर दिए गए विवादास्पद बयान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। अपने जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे अपने बयान पर पूरी तरह से कायम हैं। उनका मानना है कि इससे न्यायिक आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। यह जवाब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम के सामने पेश होने के एक महीने बाद आया है। जस्टिस यादव ने अपनी चिट्ठी में दावा किया है कि उनके भाषण को कुछ स्वार्थी तत्वों ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जो न्यायपालिका के सदस्य सार्वजनिक रूप से अपनी बात नहीं रख सकते, उन्हें न्यायिक सुरक्षा देनी चाहिए। भाषण संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप एक सामाजिक मुद्दे पर विचारों रखने की आजादी है।
विहिप के कार्यक्रम में दिया था विवादित भाषण
बता दें कि यह विवाद 8 दिसंबर को विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए उनके भाषण से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में उन्होंने समान नागरिक संहिता का जिक्र करते हुए कहा था कि हिंदुओं ने अपनी प्रथाओं में सुधार किए हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय ने ऐसा नहीं किया है। इन्हीं बातों को लेकर विवाद छिड़ गया था।
ये था कठमुल्ले वाला बयान
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने मुस्लिमों पर दिए गए अपने बयान में कहा था कि आपको यह गलतफहमी है कि अगर समान आचार संहिता (यूसीसी) लाया गया तो यह आपकी शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा। लेकिन, मैं एक और बात कहना चाहता हूं। चाहे वह आपका पर्सनल लॉ हो, हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या हमारी गीता हो... जैसा कि मैंने कहा, हमने अपने रीति-रिवाजों में खामियां देखी हैं। खामियां थीं, हमने उन्हें ठीक किया है। छुआछूत, सती प्रथा, जौहर, कन्या भ्रूण हत्या... ये सारे मामले हमने देखे हैं। फिर आप यह कानून खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है, तो आप तीन पत्नियां रख सकते हैं, उसकी सहमति के बिना...। यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि मुझे नहीं पता कि भारत में बहुमत के हिसाब से और कानून के हिसाब से शासन चलता है। मुझे ये कहने में गुरेज नहीं है कि हिन्दुस्तान बहुसंख्यकों के अनुसार ही चलेगा। कानून उन्हीं के अनुसार चलता है। उन्होंने यह भी कहा था कि कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं। इस बयान पर काफी विवाद हुआ था।
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