ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिंदू शब्द के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह शब्द बहुत पुराना है और वेदों में इसका प्रमाण मौजूद है...
परमधर्मसंसद में जारी हुआ आदेश : हिंदू आचार संहिता का पालन अनिवार्य, शंकराचार्य बोले- महाकुंभ में...
Jan 16, 2025 19:32
Jan 16, 2025 19:32
हिंदू धर्म और उसके आचार संहिता पर चर्चा
सेक्टर 19 मोरी रोड पर आयोजित परमधर्मसंसद 1008 में हिंदू धर्म और उसके आचार संहिता पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके बाद परमधर्मादेश जारी किया गया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि हिंदू शब्द न तो आधुनिक है और न ही यह विदेशी लोगों की देन है। उन्होंने यह भी कहा कि विभाजन के समय हिंदू शब्द के दुष्प्रचार के कारण कई लोग अपनी पहचान बदलकर आर्य शब्द का प्रयोग करने लगे थे। इसका परिणाम यह हुआ कि हिंदू समाज की संख्या में कमी आई, जिससे पंजाब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पाकिस्तान में चला गया।
हिंदू शब्द पूरी तरह से वैदिक- शंकराचार्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने परमधर्मसंसद 1008 के माध्यम से यह घोषणा की कि हिंदू शब्द पूरी तरह से वैदिक है और वेदों से उत्पन्न हुआ है। उन्होंने बताया कि केवल हिंदू संस्कृति में ही यज्ञ, याग, पितृकार्य जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में गाय का दूध महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, आयुर्वेद में भी गाय के दूध का उपयोग किया जाता है, जबकि अन्य संस्कृतियों में केवल दूध की प्राप्ति की चिंता की जाती है, चाहे वह किसी भी प्रकार से प्राप्त किया जाए।
कैसे हुई हिंदू शब्द की उत्पत्ति
शंकराचार्य ने हिंदू शब्द की उत्पत्ति पर भी प्रकाश डाला और बताया कि ''हिङ्कृण्वती दुहाम्'' शब्द से "हिं हिं" शब्द से गाय का दोहन करने वाली जाति को हिंदू कहा जाता है। उनका कहना था कि अथर्व वेद और स्मृतियों के अनुसार, जो लोग हिंसा से दूर रहते हैं और सदाचार के लिए तत्पर रहते हैं, वही लोग हिंदू कहलाते हैं। शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू वह है जो गाय की सेवा करता है, वेदों में श्रद्धा रखता है, मूर्तिपूजा करता है और वर्णाश्रम धर्म का पालन करता है।
हिंदू धर्म में ये है परंपरा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सनातन वैदिक हिंदू धर्म की आचार संहिता पर भी प्रकाश डाला। उनके अनुसार, हिंदू धर्म में आचार्य स्नातक को माता-पिता, आचार्य और अतिथि को देव मानने की परंपरा है और इनकी सेवा का विधान है। तैत्तिरीय उपनिषद में इस आचार संहिता का वर्णन मिलता है। इसके अलावा, यज्ञ, श्राद्ध और वेद अध्ययन हिंदू धर्म की आचार संहिता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू को वेद, स्मृति और सदाचार के अनुसार अपने आचरण को सुधारना चाहिए।
हिंदू को इन बातों का की रखनी चाहिए जानकारी
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि हर हिंदू को अपने धर्म का पालन करना चाहिए और अपने बारे में जरूरी जानकारी रखना चाहिए, जैसे कि नाम, पिता का नाम, गोत्र, वेद, शाखा, शिखा, सूत्र, कुलदेवी और देवता का नाम। इसके अलावा, कंठी या जनेऊ संस्कार, तिलक और चोटी धारण करना भी अनिवार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदू तिथियों के अनुसार पर्वों का पालन करना जरूरी है। इस अवसर पर कई धार्मिक नेता और संत भी उपस्थित थे और चर्चा में भाग लिया।
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