प्रयागराज में पितृपक्ष का विशेष महत्व : संगम में पिंडदान से पितृ ऋण से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति

संगम में पिंडदान से पितृ ऋण से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति
UPT | पिंड दान करते बाहर से आए श्रद्धालु

Sep 19, 2024 17:48

तीर्थराज प्रयाग में पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का मुख प्रयागराज में है। नाभि काशी, चरण गया और कपाल बद्रीनाथ में माना गया है।

Sep 19, 2024 17:48

Prayagraj News : सनातन धर्म में पितृपक्ष को पितरों के तर्पण और मोक्ष के लिए विशेष रूप से समर्पित माना गया है। यह समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनकी मुक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। पितृपक्ष की शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होती है और इसका समापन अमावस्या के दिन पितृ मोक्ष अमावस्या के श्राद्ध के साथ होता है। इस वर्ष पितृपक्ष का समापन 2 अक्टूबर को होगा। प्रयागराज के तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, भगवान विष्णु का मुख प्रयागराज में माना जाता है, जिसके चलते पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए यह स्थान अत्यधिक महत्व रखता है।

संगम में पिंडदान का महत्व: पितृ ऋण से मुक्ति
पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रद्धालु सबसे पहले प्रयागराज के संगम तट पर आते हैं। यहां आकर वे पिंडदान करते हैं और पुरखों का श्राद्ध और तर्पण विधि-विधान से संपन्न करते हैं। संगम में पिंडदान करने के लिए पहले मुंडन संस्कार कराया जाता है और फिर 17 पिंड बनाकर पूजा अर्चना के बाद उन्हें संगम में प्रवाहित किया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान संगम में पिंडदान करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। खासतौर पर पितृ अमावस्या के दिन केशदान और पिंडदान का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे गया में पिंडदान के बराबर पुण्यदायक माना जाता है। 

पितृ मोक्ष अमावस्या: पितरों को विदाई का दिन
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितरों को विशेष रूप से याद किया जाता है और उन्हें विदाई दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति पूरे पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाता है, तो इस दिन दान और गरीबों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन को राहु दोष से मुक्ति के लिए भी फलदायक माना गया है।

काशी और गया में पिंडदान का महत्व
प्रयागराज के बाद श्रद्धालु काशी के पिशाच मोचन में पिंडदान करते हैं और इसके बाद गया में जाकर पितरों का श्राद्ध संपन्न करते हैं। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी कृपा बनी रहती है। हालांकि, इस वर्ष गंगा और यमुना में आई बाढ़ के चलते श्रद्धालुओं को तर्पण और पिंडदान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। श्रद्धालु परेड मैदान पर ही पिंडदान और तर्पण कर गंगा में पिंड प्रवाहित कर रहे हैं।

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