सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की धर्मांतरण पर की गई टिप्पणी को गैरजरूरी बताते हुए खारिज कर दिया। इस विवादास्पद टिप्पणी में कहा गया था कि...
सुप्रीम कोर्ट का फैसला : धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी पर रोक, बताया गैरजरूरी
Sep 28, 2024 14:46
Sep 28, 2024 14:46
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि...
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट की सामान्य टिप्पणियों का वर्तमान मामले के तथ्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, इसलिए मामले के निपटारे के लिए ऐसी टिप्पणियों की आवश्यकता नहीं थी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने निर्देश दिया कि इन टिप्पणियों का उपयोग किसी अन्य मामले या हाईकोर्ट या अन्य अदालतों में कार्यवाही में नहीं किया जाएगा।
कैलाश को जमानत देने के आदेश पारित
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कैलाश को जमानत देने के आदेश पारित किए। कैलाश पर उत्तर प्रदेश के गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (किसी व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण) के तहत आरोप लगाए गए थे। अदालत ने यह जमानत इस आधार पर दी कि कैलाश 21 मई 2023 से हिरासत में है और आरोप पत्र 19 जुलाई 2023 को दाखिल किया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट की सामान्य टिप्पणियों की कोई प्रासंगिकता नहीं थी।
हाईकोर्ट ने की थी जमानत याचिका खारिज
बता दें कि हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को कैलाश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि कैलाश पर आरोप है कि उसने उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए दिल्ली में एक धार्मिक सभा में ले जाने का प्रयास किया। सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि ऐसी गतिविधियों को अनुमति दी गई, तो देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक बन सकती है। इसके अलावा, कोर्ट ने उल्लेख किया था कि उन्होंने कई मामलों में देखा है जहां उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लोगों का ईसाई धर्म में रूपांतरण तेजी से बढ़ रहा है। इसी कारण कैलाश की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
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