गाजियाबाद से मुजफ्फरनगर तक गंगनहर पटरी के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की कटाई का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। बीते शुक्रवार को मामले की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कोर्ट में हुई थी।
NGT ने जांच बैठाई : कांवड़ मार्ग पर 15 मीटर तक पेड़ काटने की थी अनुमति, अधिकारियों ने जरूरत से ज्यादा काट दिए
Aug 10, 2024 18:06
Aug 10, 2024 18:06
- 15 मीटर तक पेड़ काटने की थी परमिशन
- अधिकारियों ने काट दिए जरूरत से ज्यादा पेड़
- हाईपावर कमेटी करेगी मामले की जांच
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल गाजियाबाद के मुरादनगर से शुरू होकर रुड़की तक जाने वाली गंगनहर पटरी के चौड़ीकरण का कार्य किया जाना था। यह कांवड़ मार्ग है। NGT ने मार्ग के चौड़ीकरण के लिए सिर्फ 15 मीटर चौड़ाई क्षेत्र में पेड़ों के कटाई की अनुमति दी थी। लेकिन आरोप है कि इस अनुमति की आड़ में 30 मीटर तक पेड़ों का कटान हुआ। कहा जा रहा है कि NGT ने सिर्फ 1.12 लाख पेड़ काटने की अनुमति दी थी, लेकिन कटान की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
सपा विधायक ने उठाया मुद्दा
पेड़ों की अनुमति से अधिक कटाई पर गतिरोध पैदा हुआ, तो मेरठ के सरधना क्षेत्र से विधायक और समाजवादी पार्टी के नेता अतुल प्रधान ने मुद्दे को NGT में पहुंचाया। इस पर 9 अगस्त को NGT कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर के DFO व मेरठ के SDO और रेंजर मौजूद रहे। सुनवाई के बाद NGT ने मामले की जांच के लिए वरिष्ठ लोगों की एक कमेटी बनाई है। जांच के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी।
16 सितंबर को होगी सुनवाई
NGT की तरफ से बनाई गई कमेटी में पर्यावरण निदेशक, सीनियर साइंटिस्ट, मेरठ के जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। कमेटी यह जांच करेगी कि क्या परमिशन की आड़ में ज्यादा पेड़ काटे गए हैं। इस बीच जांच के लिए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह गंगनहर पटरी पर पहुंचे थे। उन्होंने गाजियाबाद से मुजफ्फरनगर तक दौरा कर हालात का जायजा लिया था। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने माना है कि कुछ पेड़ गलत तरीके से काटे गए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 16 सितंबर को होगी।
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