पूर्व विधायक शाहनवाज राणा की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जब उन्हें जीएसटी टीम पर हमले के मामले में जेल भेजा गया था। अब, 14 साल बाद, उनकी हिस्ट्रीशीट फिर से खोल दी गई है...
पूर्व विधायक शाहनवाज राणा की मुश्किलें बढ़ीं : 14 साल बाद फिर खुली हिस्ट्रीशीट, महिला अधिकारी के बयान से फंसे
Dec 08, 2024 19:01
Dec 08, 2024 19:01
कई धाराओं में दर्ज हुआ मुकादमा
दरअसल यह घटना बृहस्पतिवार को हुई, जब जीएसटी टीम ने वहलना चौक स्थित राना स्टील पर छापेमारी की थी। इस दौरान हंगामा हुआ और डीजीजीआई के इंटेलीजेंस ऑफिसर कौशल कुमार ने शाहनवाज राणा के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, पथराव करने, गाड़ी को नुकसान पहुंचाने, बदसलूकी करने और महिला अधिकारी का हाथ पकड़कर धक्का देने सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।
महिला का कराया गया मेडिकल
इसके बाद शनिवार को, जीएसटी की महिला अधिकारी, वादी और इंटेलीजेंस ऑफिसर का मेडिकल कराया गया। पुलिस ने धारा 161 के तहत बयान दर्ज किए और महिला अधिकारी के बयान को सुरक्षा के बीच अदालत में लिया गया। इस मामले में पूर्व विधायक पर बीएनएस की धारा 75 लगाई गई थी, जिसे बाद में विवेचना में 75 (2) कर दिया गया है।
2001 में खोली गई थी हिस्ट्रीशीट
गौरतलब है कि पूर्व विधायक की हिस्ट्रीशीट 2001 में शहर कोतवाली में खोली गई थी, लेकिन 2010 में कोर्ट के आदेश पर निगरानी बंद कर दी गई थी। अब जब आरोपी पर नया मुकदमा दर्ज हुआ है, तो पुलिस ने एक बार फिर से उनकी हिस्ट्रीशीट खोल दी है। आरोपियों के मुकदमे को शहर कोतवाली से खालापार थाने में ट्रांसफर कर दिया गया है। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि वादी की ओर से महिला के बयान कोर्ट में दर्ज कराए गए हैं।
क्या बोला वादी
वहीं मुकदमे में वादी का कहना था कि शाहनवाज राणा के खिलाफ पहले से जीएसटी का सर्च वारंट था। जैसे ही जीएसटी टीम ने कार्रवाई शुरू की, राणा ने महिला अधिकारियों के साथ अभद्रता की और एक महिला अधिकारी का हाथ पकड़कर धक्का दे दिया। इसी वजह से उन पर धारा 75 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
क्या है धारा 75
बता दें कि धारा 75 भारतीय न्याय संहिता में यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों को गंभीर अपराध के रूप में परिभाषित करती है। यह अपराध गैर-जमानती होते हैं और इसमें किसी महिला को बिना उसकी अनुमति के छूने पर भी आरोप लगाया जा सकता है। इस धारा के तहत आरोपित व्यक्ति की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह गंभीर कानूनी प्रावधानों के तहत आता है।
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