उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के बाद लोगों में गुड़ तिल एवं चावल बांटने के बाद पतंग उड़ाने की पुरानी परंपरा है। पतंग उड़ाने में प्रयोग होने वाले बरेली, बनारस एवं लखनऊ के मांझे की जगह प्रतिबंधित चाइनीज मांझे का प्रयोग धड़ल्ले...
Varanasi News : सपा ने चाइनीज मांझे के विरोध में किया प्रदर्शन, बच्चों को बांटे पतंग, किया जागरूक...
Jan 08, 2025 14:40
Jan 08, 2025 14:40
आगे भी जारी रहेगा अभियान
वाराणसी के दुर्गाकुंड में ठेला लगाकर धागा वाला मांझा और पतंग बच्चों के बीच बांटे गए। यह एक जागरूकता अभियान है। इसका उद्देश्य लोगों को चाइनीज मांझे के खतरों के बारे में बताना है। महामृत्युंजय मंदिर के महंत एवं समाजवादी पार्टी युवजन सभा के प्रदेश महासचिव किशन दीक्षित ने बताया कि चाइनीज मांझा पक्षियों और इंसानों दोनों के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक चाइनीज मांझा पूरी तरह से बंद नहीं हो जाता है। बच्चों को जागरूक किया गया कि मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाएं, लेकिन चाइनीज मांझे के जगह बरेली, लखनऊ, बनारस एवं आगरा के मांझे का प्रयोग करें।
चाइनीज मांझे पर अधिक कमाई
वाराणसी में कातिल मांझे की अवैध बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। खरीदने वाला दुकानदार को सिर्फ मज़बूत कोड वर्ड प्लास्टिक कहता है और दुकानदार खुद ही मांझा दे देता है। एक दुकानदार ने बताया कि चाइनीज मांझे की डिमांड अधिक है। उस पर बचत भी अधिक होती है। 200 से 1000 रुपये तक आसानी से बिक जाता है मांझे के लिए कस्टमर 300 के बजाय 800 से 1000 रुपये तक देने को तैयार हो जाते हैं।
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