भारत की आस्था नगरी बनारस में एक महत्वपूर्ण परियोजना की शुरुआत होने जा रही है, जिसके तहत देश का सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज बनाया जाएगा। हाल ही में कैबिनेट ने इस परियोजना को मंजूरी दी है...
यूपी को केंद्र से बड़ी सौगात : गंगा के ऊपर इस जिले में बनेगा रेल-रोड ब्रिज, सिक्स लेन हाईवे के साथ ये होंगी खासियत....
Oct 16, 2024 17:40
Oct 16, 2024 17:40
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ब्रिज में होंगे दो स्तर
कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को रेल मंत्रालय के द्वारा प्रस्तावित रोड-रेल ब्रिज परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपये है। इस ब्रिज के निर्माण से यातायात की भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी। ब्रिज में दो स्तर होंगे: पहले स्तर पर चार रेलवे ट्रैक होंगे, जिन पर वंदे भारत जैसी तेज़ रफ़्तार ट्रेनों के साथ-साथ लॉजिस्टिक ट्रेनें भी चलेंगी। वहीं, दूसरे स्तर पर 6 लेन की सड़क बनाई जाएगी। यह रोड-कम-ट्रेन ब्रिज प्रति वर्ष 24 मिलियन टन अतिरिक्त कार्गो आवाजाही को संभाल सकेगा।
पॉल्यूशन में कमी से रोजगार तक...
- रोजगार के अवसर : परियोजना से 10 लाख मानव दिवस के लिए सीधे नौकरियों का सृजन।
- नेटवर्क विस्तार : भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 30 किलोमीटर बढ़ेगा।
- पॉल्यूशन में कमी : ब्रिज पॉल्यूशन को कम करने में मदद करेगा।
- कम ट्रांसपोर्टेशन लागत : परिवहन की लागत में कमी आएगी।
- CO2 उत्सर्जन में कमी : 149 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी, जो 6 करोड़ पेड़ों के लगाने के बराबर है।
8 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी
गंगा नदी पर बनने वाले इस ब्रिज से यात्रा आसान और बेहतर होगी, जिससे डीजल की बचत भी संभव होगी। सरकार के अनुमान के अनुसार, इस ब्रिज से हर साल लगभग 8 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी, जो लोगों को करीब 638 करोड़ रुपए की बचत में मदद करेगा। केंद्रीय मंत्रालय ने बताया कि इस ब्रिज का डिजाइन और निर्माण तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है।
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देश का सबसे पुराना पुल मालवीय ब्रिज
मालवीय ब्रिज 137 साल पुराना है। नया ब्रिज पुराने मालवीय ब्रिज को रिप्लेस करेगा। बता दें कि मालवीय ब्रिज, जो 1887 में वाराणसी में गंगा नदी पर बनाया गया, एक 1048.5 मीटर लंबा डबल डेकर पुल है। यह गंगा नदी पर स्थित सबसे लंबे पुलों में से एक है और ग्रांड ट्रंक रोड (जीटी रोड) भी इसी पुल से होकर गुजरती है। इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण अवध और रुहेलखंड रेलवे के इंजीनियरों ने किया था। 1948 में, इसका नाम मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया। यह पुल काशी के वाराणसी जंक्शन और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन स्टेशन के बीच स्थित है।
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