विजयादशमी पर्व पर जगह जगह रावण के पुतले दहन किये जाते हैं। वहीं सारस्वत समाज के लोग इस परंपरा को ब्रह्मदोष मानते हैं...
Mathura News : दशानन की सारस्वत समाज ने की पूजा, प्रकांड पण्डित का बार-बार पुतला दहन करना गलत
Oct 13, 2024 00:00
Oct 13, 2024 00:00
आज तक बुराई दूर नहीं हो पाई
मण्डल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत एडवोकेट ने कहा कि रावण जैसा विद्वान उस युग में धरती पर पैदा नही हुआ था। एक प्रकांड पण्डित का बार-बार पुतला दहन करना गलत है। बार-बार रावण के पुतला दहन की परंपरा को रोकने के लिए दशानन की पूजा का आयोजन किया है। कुछ लोग प्रति वर्ष बुराई के रूप में प्रकांड विद्वान ब्राह्मण दशानन का पुतला दहन करते हैं और सच्चाई की बुराई पर जीत बताते हैं। मगर सत्य यह है कि आज तक बुराई दूर नहीं हो पाई है। समाज को इसका कोई लाभ भी नहीं मिला है। जो लोग रावण का पुतला दहन कर रहे हैं, उनको ब्रह्महत्या का पाप लगता है।
पुतला दहन करने को महापाप करार दिया
उन्होंने दशानन को महापंडित, त्रिकालज्ञ, श्रीराम का आचार्य बताते हुए पुतला दहन करने को महापाप करार दिया। सीताराम मंदिर के महंत श्रीराम व उनके अनुयायी श्याम प्रकाश अवस्थी ने सहयोगियों संग जाप किया। दोपहर में लंकेश भक्त मंडल सदस्यों ने महाआरती की गई।
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