मुगलकालीन इमारत के ध्वस्तीकरण पर सियासत तेज : अखिलेश यादव ने उठाए सवाल, राज्य पुरातत्व विभाग ने रुकवाया काम

UPT | मुबारक इमारत को किया ध्वस्त

Jan 04, 2025 14:00

आगरा में मुगलकालीन 'मुबारक मंजिल' इमारत के ध्वस्तीकरण को लेकर सियासत गरमा गई है। राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित स्मारक घोषित करने के बावजूद एक बिल्डर ने इसे ध्वस्त करने की कार्रवाई...

Agra News : आगरा में मुगलकालीन 'मुबारक मंजिल' इमारत के ध्वस्तीकरण को लेकर सियासत गरमा गई है। राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित स्मारक घोषित करने के बावजूद एक बिल्डर ने इसे ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। इस कार्य को लेकर स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया कि बिल्डर ने प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से यह कार्य किया और इमारत का एक बड़ा हिस्सा अब नष्ट हो चुका है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर एक्स पर पोस्ट कर अपना विरोध जताया है।

अखिलेश ने जताया विरोध
मुगल और ब्रिटिश काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इस इमारत को लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर एक्स पर अपना विरोध जताया है। उन्होंने लिखा, "भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग जागे नहीं तो चलानेवाले उनके प्रतिष्ठा पर भी बुलडोज़र चला देंगे।



आरंगजेब की हवेली के नाम से जानी जाती है इमारत
मुगलकालीन 17वीं सदी की 'मुबारक मंजिल' इमारत को औरंगजेब की हवेली के नाम से भी जाना जाता है। इसे हाल ही में एक बिल्डर द्वारा ध्वस्त किया गया। इसके बाद इमारत के मलबे का ढेर मौके पर पड़ा हुआ था। राज्य पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी की थी बावजूद इसके इमारत को गिराने का काम चलता रहा। इस मुद्दे पर आगरा निवासी कपिल वाजपई ने शिकायत दर्ज कराई।  जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि यह ऐतिहासिक धरोहर को तोड़ने की कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत से की जा रही है। उन्होंने कहा कि शिकायत करने के बावजूद अधिकारी स्थिति को सही नहीं कर रहे थे और 'आउटर साइड' को तोड़ने का बहाना बनाया जा रहा था।

ऋषि खंडेलवाल बोले यह परिसर हमारे बाबा के नाम था
बिल्डिंग के दूसरे हिस्से में रह रहे ऋषि खंडेलवाल ने बताया कि जिस हिस्से को तोड़ा गया है वह उनके चाचा का हिस्सा है और स्वर्गीय चाचा के बेटे ने इसे एक बिल्डर को बेच दिया। उसके बाद बिल्डर इसे तोड़वा रहे है। इस मुबारक मंजिल को हाल में तारा निवास के नाम से भी जाना जाता है, दारा शिकवा से युद्ध के लिए जब औरंगजेब आए थे तो इसी बिल्डिंग में रुके थे और बिना युद्ध हुए उन्हें विजय मिली थी। तभी से इस बिल्डिंग का नाम मुबारक मंजिल पड़ गया था। उसके बाद अंग्रेजों ने इस बिल्डिंग को प्रयोग में लिया था। हमारे बाबा को उसी दौरान राय बहादुर की उपाधि मिली थी। यह पूरा परिसर हमारे बाबा के नाम था। मुबारक मंजिल के मामले में आगरा निवासी कपिल वाजपई ने विभागीय शिकायत दर्ज कराई थी।

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