Mathura News : जोधपुर झाल बना संकटग्रस्त पक्षियों का ठिकाना, इको-सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण अंग है सफेद गिद्ध  

UPT | सफेद गिद्ध

Dec 27, 2024 22:05

उत्तर प्रदेश के मथुरा में ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संरक्षित फरह निकट स्थित जोधपुर झाल संकटग्रस्त पक्षियों का ठिकाना बनता जा रहा है। जोधपुर झाल पर...

Mathura News : उत्तर प्रदेश के मथुरा में ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संरक्षित फरह निकट स्थित जोधपुर झाल संकटग्रस्त पक्षियों का ठिकाना बनता जा रहा है। जोधपुर झाल पर अब संकटग्रस्त पक्षियों मे एक और नाम जुड़ गया है। वह है विशेष सफाई कर्मी के रूप में पहचाना जाने वाला सफेद गिद्ध, जिसे इजिप्सियन वल्चर के नाम से भी जाना जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने सफेद गिद्ध को किया संकटग्रस्त घोषित
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के डॉ केपी सिंह ने बताया कि इसे गोबर या सफेद गिद्द के नाम से भी जाना जाता है। यह पुरानी दुनिया (दोनों अमरीकी महाद्वीप शामिल नहीं) का गिद्ध है जो पहले पश्चिमी अफ़्रीका से लेकर उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पाया जाता था। किन्तु अब इसकी आबादी में बहुत गिरावट आयी है और इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने संकटग्रस्त घोषित कर दिया है। भारत में पाई जाने वाली गिद्द की नौ प्रजातियों मे से विलुप्तप्राय चार प्रजातियों मे से एक सफेद गिद्ध को भी आगरा मथुरा जनपद की सीमा पर फरह के निकट जोधपुर झाल वेटलैंड पर देखा जा रहा है। 

गिद्ध इको-सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण अंग
पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार इसका वैज्ञानिक नाम नियोफ्रोन पेर्क्नोटेरस है। यह ऍक्सिपिट्रिडी फैमिली का सदस्य है। गिद्ध इको-सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। मृत जानवरों की लाशें ही इसका मुख्य भोजन होती हैं। लेकिन यह छोटे पक्षी व सरीसृप का शिकार भी कर लेता है। अन्य पक्षियों के अण्डे भी खाता है।

भारत मे गिद्ध की 9 प्रजातियों में से चार पर गम्भीर ख़तरा
विश्वविद्यालय की शोधार्थी निधि यादव के अनुसार विश्व भर में पुरानी और नई दुनिया की कुल वल्चर की 22 प्रजातियां मौजूद हैं। जिनमें से 15 प्रजातियां पुरानी दुनिया की हैं। (पुरानी दुनिया में अमेरिका के दोनों महाद्वीप शामिल नहीं है)। भारत में गिद्धों की कुल 9 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें स्थानीय आवासीय एवं प्रवासी प्रजातियां शामिल हैं। ये प्रजातियां लॉन्ग विल्ड वल्चर, व्हाइट बैक्ड वल्चर, सिलेन्डर विल्ड वल्चर, हिमालयन ग्रिफान वल्चर, वियर्ड वल्चर, किंग वल्चर, इजिप्सीयन वल्चर, सिनेरियस वल्चर, यूरेशियन ग्रिफान वल्चर हैं।

गिद्ध संरक्षण के लिए गम्भीर है वन विभाग
मथुरा डीएफओ रजनीकांत मित्तल का कहना है कि गिद्धों के संरक्षण के लिए इनके हेविटाट और प्रजनन स्थलों का संरक्षण अति महत्वपूर्ण है। इस दिशा मे काम भी हो रहा है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने जोधपुर झाल पर काम किया है। साल में एक बार जिले में मौजूद वल्चर की प्रजातियों को रिकार्ड किया जाता है।

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