Mathura News : सर्दी की रूहानी हवा में जोधपुर झाल पर पंखों का गान, विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गूंज उठा वेटलैंड

UPT | किलोल करते पक्षी

Dec 13, 2024 16:19

जैसे-जैसे सर्दी का मौसम गहराता है, मथुरा जिले के जोधपुर झाल वेटलैंड पर एक नई जिंदगी का आगमन होता है। विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से यहां का वातावरण मानो संगीत में बदल जाता है। यह वेटलैंड, जो अब पक्षी प्रेमियों और पर्यावरण प्रेमियों का आकर्षण बन चुका है, सर्दियों में एक रंगीन उत्सव सा बन जाता है। दूर-दूर से आए ये प्रवासी पक्षी यहां के शांत और सुरम्य वातावरण में अपनी चहचहाहट से जीवन के नए रंग भरते हैं, और यह स्थल एक अनोखा अनुभव देने का गवाह बनता है।

Mathura News : ठंड बढ़ने के साथ ही जोधपुर झाल वेटलैंड पर प्रवासी पक्षियों के जमावड़े ने पक्षी प्रेमियों में गर्मजोशी भर दी है। सर्द मौसम के बढ़ते ही यहां प्रवासी प्रजातियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक हर साल यहां आने वाली सभी प्रजातियां इस वेटलैंड पर पहुंच जाएंगी। इनमें से ज्यादातर पक्षी कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस, साइबेरिया, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, तिब्बत, भूटान आदि देशों से आते हैं।

जोधपुर झाल विदेशी पक्षियों के लिए आश्रय स्थल बना
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संरक्षित मथुरा और आगरा जिलों की सीमा पर फरह के पास स्थित जोधपुर झाल विदेशी पक्षियों के लिए आश्रय स्थल बनता जा रहा है। संरक्षण के बाद प्रवासी और स्थानीय लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों ने इस वेटलैंड को अपना आश्रय स्थल बना लिया है। स्थानीय लुप्तप्राय पक्षियों में सारस क्रेन, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक-हेडेड आइबिस का भी जमावड़ा लग गया है। 
प्रवासी पक्षियों का पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफरों को बेसब्री से इंतजार
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा ने बताया कि सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफरों को बेसब्री से इंतजार रहता है। प्रवासी पक्षियों के आगमन को लेकर पक्षी प्रेमी और पर्यावरण प्रेमी लगातार जोधपुर झाल पर पहुंच रहे हैं। विभिन्न डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्र भी पढ़ाई के लिए वेटलैंड पर आ रहे हैं।

सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे से आने वाले पक्षियों में शामिल है कॉमन पोचार्ड 
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी की वाइल्डलाइफ इकोलॉजिस्ट डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का प्रवास मुख्य रूप से मध्य एशियाई फ्लाईवे के माध्यम से होता है। मध्य एशियाई फ्लाईवे भौगोलिक रूप से उत्तर, मध्य और दक्षिण एशिया के 30 देशों और ट्रांस-काकेशस को कवर करता है, जिसमें मध्य एशियाई और यूरोपीय देश शामिल हैं। इस फ्लाईवे के माध्यम से प्रवासी जलीय पक्षियों की 182 प्रजातियां शीतकालीन प्रवास के लिए आती हैं, जिनमें 29 वैश्विक रूप से संकटग्रस्त और लगभग संकटग्रस्त प्रजातियां शामिल हैं। कॉमन पोचार्ड इन 29 वैश्विक रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक है।

जोधपुर झाल पर पहुंचे ये प्रवासी पक्षी
बार-हेडेड गूज, ग्रे-लैग गूज, यूरेशियन विगॉन, कॉमन पोचर्ड, पाइड एवोकेट, टफटेड डक, गैडवॉल, गार्गनी, कॉमन टील, कॉमन पिंटेल, नॉर्दर्न शॉवलर, सिट्रीन वैगटेल, व्हाइट वैगटेल, व्हाइट ब्रूडेड वैगटेल, रफ, नॉब-बिल्ड डक, लेसर व्हिसलिंग डक, ग्रीन सैंडपाइपर, कॉमन रेड-शैंक, कॉमन सैंडपाइपर, बड सैंडपाइपर, मार्श सैंडपाइपर, मार्श हैरियर, ब्लूथ्रोट, साइबेरियन स्टोनचैट आदि देखे जाते हैं।

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा जोधपुर झाल वेटलैंड को विकसित करने के प्रयासों के परिणामस्वरूप स्थानीय पक्षियों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। सारस क्रेन, बुली-नेक्ड स्टॉर्क, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक-ब्रेस्टेड वीवर, स्ट्रीक्ड वीवर, रेड मुनिया, सिल्वर-बिल्ड मुनिया, ट्राई-कलर मुनिया, बारबैक श्रीके, इंडियन रोलर, पाइड बुशचैट, ब्लैक-हेडेड इबिश, ब्लैक-सोल्जर काइट, एलेक्जेंड्रियन पैराकीट आदि भी यहां देखे जा सकते हैं।

वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की होगी गणना, तैयारी शुरू
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी वेटलैंड इंटरनेशनल के सहयोग से जोधपुर झाल पर जलीय पक्षियों की गणना कर रही है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि वेटलैंड इंटरनेशनल हर साल दक्षिण एशियाई देशों में वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की गणना करता है। इसी क्रम में एशियाई जलपक्षी गणना-2025 का आयोजन लगातार चौथे साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में जोधपुर झाल पर किया जाना प्रस्तावित है।

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