Ayodhya News : फैज़ाबाद लोकसभा मतदान में भाजपा औऱ सपा में कांटे के मुकाबले के बाद परिणाम को लेकर चकराए राजनीतिक पंडित

UPT | मतदान के दूसरे दिन भाजपा प्रत्याशी अपनी टीम के साथ

May 23, 2024 02:48

फैज़ाबाद लोकसभा चुनाव में बड़े ही शांति से 13 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है। जिसके परिणाम को जानने के लिए 04 जून का इंतजार सभी को हे। लेकिन जनपद की चार और बाराबंकी जिले की दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के 19,27,759 मतदाताओं ने क्या फैसला सुनाया होगा इन्हीं बिंदुओं पर राजनीतिक गुणा गणित शुरू हो गई है

Short Highlights
  • बहुजन समाज पार्टी के बेस वोटरों के सपा में खिसकने से बढ़ी कयासबाजी
  • .45 फीसदी कम मतदान होने पर भी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे भाजपाई समर्थक
  • यादव मतदाताओं में बिखराव नहीं, मुस्लिमों के बम्पर वोटिंग से सपा समर्थक भी खुश
  • दो चरण के मतदान बाकी फिर भी चौक चौराहों पर बनने बिगड़ने लगी सरकार
Ayodhya News : अंत तक खामोश रहे मतदाताओं ने फैज़ाबाद लोकसभा चुनाव में बड़े ही शांति से 13 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है। जिसके परिणाम को जानने के लिए 04 जून का इंतजार सभी को हे। लेकिन जनपद की चार और बाराबंकी जिले की दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के 19,27,759 मतदाताओं ने क्या फैसला सुनाया होगा इन्हीं बिंदुओं पर राजनीतिक गुणा गणित शुरू हो गई है। 2019 के चुनाव में 59.67 फीसद मतदान की तुलाना में .45 प्रतिशत कम यानी 59.13 फीसदी मतदान को भाजपा के वोटरों से घटाया जाने लगा है। क्योंकि यह उन्हीं लोगों का मत है जो  घर से बूथ तक पहुंचे ही नहीं। इसका कारण गर्मी तो है ही एक अन्य कारण भाजपा प्रत्याशी की जनता के बीच अनुपलब्धता से जोड़कर देखा जा रहा है। बात यदि विधानसभा क्षेत्रों में अंतिम स्थिति की कीजिए तो रुदौली विधानसभा में 58.13 प्रतिशत, मिल्कीपुर में 57.31 %, बीकापुर में 59.58 %, अयोध्या में 56.52 % और जनपद बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 63.56 प्रतिशत वोट डाले गए हैं।

बसपा सुप्रीमो की जनसभा रद होने से पार्टी मतदाताओं के वोट छिटके
17 मई को विधानसभा क्षेत्र रुदौली में बहुजन समाजपार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की चुनावी जनसभा निर्धारित थी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने तैयारी भी पूरी कर ली थी लेकिन अंतिम समय मे बसपा प्रमुख की सभा रद हो गई। जिससे मतदाताओं में सीधा सन्देश गया कि पार्टी फैज़ाबाद चुनाव प्रचार में दिलचस्पी नहीं ले रही। हालात यह कि बीकापुर विधानसभा क्षेत्र के सोहावल में अरथर ग्राम सभा मे कोई एजेंट नहीं बना। यहां के बसपा नेता राम सूरत ने बताया कि पहले तो प्रचार या जनसंपर्क में कमी रही दूसरी चुनौती यह कि बगैर खर्चा के कोई बूथ एजेंट बना जी नहीं। जिसका सीधा सन्देश पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छाओं पर चला गया। लोकसभा चुनाव 2014 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रहे जितेंद्र सिंह बबलू को 141827 वोट अर्थात 13.87 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2019 के चुनाव में सपा ओर बसपा में गठबंधन था। उम्मीदवार सपा के आनंद सेन थे जो कि 43 प्रतिशत वोट लेकर भाजपा को सांसत में डाल दिया था। जनपद में तीसरे, चौथे नम्बर की पार्टी बनने से ही पार्टी प्रमुख ने इस बार चुनाव प्रचार में कई रुचि नहीं दिखाई जिससे बसपा उम्मीदवार सचिददानन्द वोट कटवा की भूमिका में रहे। बसपा के आत्मसर्मपण का सारा फायदा सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की तरफ हो गया।

वोट दे भी दें तो विश्वास कौन करेगा, इसलिए पीडीए में झुकें
मतदान के दूसरे दिन फैज़ाबाद शहर के एक होटल में बसपा नेता से चाय पर मुलाकात हो गई। संजयगंज क्षेत्र में बूथ पर पार्टी अभिकर्ता न होने औऱ बसपा सुप्रीमो द्वारा जनपद में चुनावी रैली पर नहीं करने था वेस वोटर के असमंजस पर नेता जी ने बड़ी बेबाकी से कहा कि हमारे मतदाता गरीब औऱ निचले तबके के हैं जो अपनी पहुंच को देखते हैं। ऐसे में यदि पीडीए गठजोड़ को छोड़ कर दूसरे दलों (भाजपा) को वोट भी करें तो सबसे पहले विश्वास का संकट, दूसरे जीते प्रत्याशी से मिलने का संकट। लेकिन पार्टी ने सचिद्दनन्द को बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा था तो सिर्फ पार्टी प्रत्याशी को ही वेस वोटरों ने अपना मत दिया। यह बात अलग है कि प्रचार प्रसार में कमी औऱ जनसभाओं या नुक्कड़ सभाओं के न होने से बसपा समर्थकों में एकजुटता का अभाव रहा। हो सकता है तमाम लोगों ने पीडीए गठबंधन को अपना वोट दे दिया हो। 

कर्जमाफी, महिलाओं के खाते में 1 लाख, महंगाई, बेरोजगारी मुद्दे रहे प्रभावी
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के अमानीगंज बाजार के ड्योढ़ी मोड के एक चाय की दुकान पर बैठे लोगों के बीच चल रही चुनावी गपशप में यह बात उजागर हुई कि भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय लोगों ने स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को लेकर मतदान किया है। जिसमें कर्जमाफी, महिलाओं के खाते में 1 लाख, महंगाई, बेरोजगारी, प्रत्याशी का क्षेत्र में न दिखना या मिलना कठिन होना औऱ अधिकारियों द्वारा गम्भीर से गम्भीर मसलों पर कार्रवाई न करना शामिल रहा है। लोगों का कहना था कि भाजपा प्रत्याशी को 10 साल दे दिया। केंद्र और राज्य सरकार ने बड़े बड़े काम किए। हाइवे, फोरलेन बनवाए पर गांव बाजार की सड़कों को कोई देखने वाला नहीं। छुट्टा पशुओं के लिए गोशाला बनवाए पर पशुओं को रखने का इंतजाम नहीं। इन 10 सालों में नोकरी की व्यवस्था नही। 40-50 का पेट्रोल 100 रुपये में, रसोई गैस दे दी लेकिन 900 रुपये गैस का दाम कर दिया। कुल मिलाकर कहीं से राहत नहीं। 5 किग्रा अनाज, 6 हजार रुपये सालभर में देकर खरीद तो नहीं लिया। अब दूसरी सरकार आएगी तो कम से कम कर्ज माफी, बिजली बिल, रोजगार पर काम करेगी। ऐसे में जनता ने जो फैसला लिया है वह सबक सिखाने के लिए है। वरना 5 साल बाद फिर तो जनता अपना निर्णय सुना देगी।

सेन परिवार की बेरुखी का भी विशेष असर नहीं, अखिलेश की दोनों सभाओं ने मोड़ी बहाव
फैज़ाबाद की राजनीति में स्व. मित्रसेन का भारी दबदबा हुआ करता था। गांव जमीन से जुड़े नेता होने के कारण पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी से सांसद बने। मोहभंग हुआ तो बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन की। यहां भी सांसदी जीत गए। कालांतर में समाजवादी पार्टी से जुड़े तो भी सांसद बन गए। क्षेत्र पंचायत सदस्य से लेकर सांसद तक घर परिवार में लोग रहे। लेकिन उनके देहावसान के बाद छोटे लड़के आनंदसेन विरासत सम्भालने में लगे लेकिन विजयश्री नहीं मिल सकी। इस बार स्व. मित्रसेन के बड़े बेटे पूर्व डीआइजी अरविंद सेन आगे आए हैं। पिता जी के नक्शे कदम चलते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी भी हैं। माना जा रहा है कि यादव ही नहीं समाजवादी पार्टी के वोटरों को प्रभावित करेंगे। लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के पक्ष में दो-दो जनसभा कर बिखराव नहीं होने दिया। जिससे इंडिया गठबंधन के पीडीए प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जबरदस्त टक्कर देकर जीत का दावा कर दिया।

फैज़ाबाद लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण
पार्टियों की ओर से ग्राम प्रधानों और जातीय संगठनों की मदद से जनपद में निवास करने वाली जातियों पर रिपोर्ट मानें तो 29 प्रतिशत सवर्ण और 26 प्रतिशत ओबीसी ही मुख्य भूमिका में होते हैं। चुनाव परिणामों की दिशा बदलते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक जनपद में 74 फीसदी हिन्दू तो 22 फीसदी मुस्लिम आबादी है। इससे अलग जनपद में जातियों में सर्वाधिक सवर्ण हैं जो कि कुल आबादी के 29 प्रतिशत ह। दूसरे नम्बर पर पिछड़ी जातियां (ओबीसी) 26 %, तीसरे नम्बर पर यादव 13% जबकि दलितों की आबादी 4 प्रतिशत है। बात अगर लोकसभा चुनाव 2014 की करें तो भारतीय जनता पार्टी के विजयी प्रत्याशी लल्लू सिंह को 491761 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 48.7% था वहीं प्रतिद्वंद्वी रहे सपा प्रत्याशी स्व. मित्रसेन यादव को 208986 मत यानी 21%, बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र सिंह बबलू को 141827 वोट अर्थात 13.87 प्रतिशत जबकि चौथे स्थान पर कांग्रेस उम्मीदवार निर्मल खत्री को 129917 वोट मिले जो कुल मतदान का 12.7 प्रतिशत था। इस चुनाव में नोटा का बटन भी 11537 लोगों ने दबाया था। यह आंकड़ा तब का है जब मोदी लहर शुरू हुई थी। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत तो भाजपा प्रत्याशी की ही हुई थी लेकिन जीत के आंकड़े घट गए थे। भाजपा उम्मीदवार लल्लू सिंह को 5,29, 021 मत प्राप्त हुए थे जो कि कुल मतदान का 49 प्रतिशत था। वहीं 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी औऱ बहुजन समाज पार्टी गठजोड़ कर लड़ी थी जिसमें समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व सपा सांसद स्व. मित्रसेन यादव के बेटे आनन्द सेन को 4, 63, 544 यानी 43 प्रतिशत और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ निर्मल खत्री को 53, 886 और नोटा को 9388 वोट मिले।

Also Read