पीएम विश्वकर्मा योजना : 90,000 से अधिक कारीगरों ने किया आवेदन, चयनित लोगों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण

UPT | PM Vishwakarma Scheme

Aug 30, 2024 13:15

स योजना के तहत 90,000 से अधिक कारीगरों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। यह योजना विशेष रूप से 18 विभिन्न व्यावसायिक श्रेणियों को लक्षित करती है, जिनमें सुनार, मोची, कुम्हार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री, धोबी और दर्जी शामिल हैं...

Short Highlights
  • पीएम विश्वकर्मा योजना को लेकर कारीगरों के बीच उत्साह
  • 90,000 से अधिक कारीगरों ने ऑनलाइन आवेदन किया
  • अब तक 15,000 आवेदनों का सत्यापन पूरा
Ambedkar Nagar News : अम्बेडकरनगर जिले में पीएम विश्वकर्मा योजना को लेकर कारीगरों के बीच उत्साह देखा जा रहा है। इस योजना के तहत 90,000 से अधिक कारीगरों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। यह योजना विशेष रूप से 18 विभिन्न व्यावसायिक श्रेणियों को लक्षित करती है, जिनमें सुनार, मोची, कुम्हार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री, धोबी और दर्जी शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन अब इन आवेदनों के सत्यापन में जुटा हुआ है, ताकि योग्य उम्मीदवारों को योजना का लाभ मिल सके।

10 हजार लोगों का चयन
जिला उपायुक्त एस सिद्दीकी के अनुसार, अब तक 15,000 आवेदनों का सत्यापन पूरा हो चुका है, जिनमें से 10,000 लोगों का चयन किया गया है। यह प्रक्रिया नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से चल रही है, जिसमें स्थानीय ब्लॉक कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रशासन को उम्मीद है कि शेष आवेदनों का सत्यापन भी जल्द ही पूरा हो जाएगा, जिससे योजना का क्रियान्वयन और तेज हो सकेगा।



कारीगरों को योजना से कई लाभ
चयनित कारीगरों के लिए योजना में कई लाभकारी प्रावधान हैं। उन्हें एक सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो उनके कौशल को और निखारने में मदद करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक चयनित कारीगर को अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपये का ई-वाउचर प्रदान किया जाएगा। योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कारीगरों को व्यवसाय विस्तार के लिए रियायती दर पर ऋण की सुविधा। वे अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए मात्र 5 प्रतिशत ब्याज दर पर एक लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य
पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना ही नहीं, बल्कि कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाना भी है। यह योजना परंपरागत कौशल को आधुनिक बाजार की मांगों के अनुरूप विकसित करने में मदद करेगी, जिससे कारीगर न केवल अपने व्यवसाय को मजबूत कर सकेंगे, बल्कि अपने जीवन स्तर में भी सुधार ला सकेंगे। 

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