कटहरी उपचुनाव में भाजपा की जीत : सपा को लगा तगड़ा झटका, अब अखिलेश यादव ने लोकसभा के लिए कसी कमर

UPT | योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव

Nov 24, 2024 16:51

कटहरी विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ऐतिहासिक जीत ने जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए यह एक बड़ा झटका साबित...

Ambedkar Nagar News : कटहरी विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ऐतिहासिक जीत ने जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने जिले की पांचों विधानसभाओं में अपने प्रदर्शन से राजनीति में तूफान मचाया था, लेकिन 2024 में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कटहरी विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर सपा के महागठबंधन को जोरदार चोट पहुंचाई।  

कटहरी में भाजपा की बढ़त
2022 में समाजवादी पार्टी ने जिले की सभी विधानसभा सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत की थी और 2024 में लोकसभा चुनाव में भी सपा ने भाजपा को पीछे धकेलते हुए जीत दर्ज की थी। कटहरी विधानसभा में सपा के राष्ट्रीय महासचिव और अल्पसंख्यक नेता लालजी वर्मा के रिक्त होने के बाद भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया था। भाजपा ने धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया, जो पिछड़ी जाति से आते हैं और चुनावी प्रचार में प्रशासन की मदद भी ली।  

सपा की उम्मीदें टूटीं
कटहरी सीट पर सपा के लिए यह चुनाव काफी अहम था क्योंकि लालजी वर्मा के प्रभाव का अनुमान था कि उनकी पत्नी शोभावती वर्मा इस सीट को जीतने में सफल रहेंगी। हालांकि शुरुआत में शोभावती वर्मा पीछे थीं। बाद में उनकी बढ़त केवल 5 हजार वोटों तक सीमित रह गई। इसके कारण सपा को अपनी सत्ता में भी बिखराव का सामना करना पड़ा।  

भाजपा की विजय पर सपा का संकट
सपा के भीतर इस हार के बाद से अटकलें तेज हो गई हैं कि पार्टी का गढ़ कमजोर हो गया है। भाजपा की जीत के साथ कटहरी सीट पर उसकी स्थिति मजबूत हो गई है। यह आने वाले विधानसभा चुनावों में सपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। भाजपा ने इस चुनाव में सफलता हासिल कर यह संदेश दिया है कि वह आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार है और सपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है।  

वोटिंग प्रक्रिया पर आरोप
चुनाव के दौरान सपा ने भाजपा पर आरोप लगाए कि उनके वोटों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की गई और वोट देने में हस्तक्षेप किया गया। सपा के नेताओं ने कहा कि उनके समर्थकों के पहचान पत्रों की जांच की जा रही थी। जिससे उनकी संख्या में कमी आई। हालांकि, इन आरोपों का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका।

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