श्री हनुमान चालीसा का पाठ कर बनाया विश्व रिकॉर्ड : अयोध्या के स्वामी महेश योगी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत को गौरवान्वित किया

UPT | विश्व रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र लेते डॉ महेश योगी।

Dec 28, 2024 20:45

रामनगरी अयोध्या के आध्यात्मिक गुरु डॉ. स्वामी महेश योगी ने मेरठ में अनवरत 101 घंटे तक श्री हनुमान चालीसा का 2551 बार पाठ कर भारत का नाम आध्यात्मिक क्षेत्र में गौरवान्वित किया। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे दुनिया की सबसे बृहद साधना के रूप में दर्ज किया है।

Ayodhya News : रामनगरी अयोध्या के आध्यात्मिक गुरु डॉ. स्वामी महेश योगी ने मेरठ में अनवरत 101 घंटे तक श्री हनुमान चालीसा का 2551 बार पाठ करके आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत का नाम गौरवान्वित किया। शताब्दी नगर, मेरठ में इस अद्वितीय अनुष्ठान को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे बृहद साधना के रूप में अपनी रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया है।



120वां विश्व कीर्तिमान
स्वामी महेश योगी ने इस उपलब्धि को अपने दिव्य भारत निर्माण ट्रस्ट के बैनर तले पूरा किया। यह उनका 120वां विश्व कीर्तिमान है। धार्मिक जागृति और जनकल्याण के लिए विख्यात स्वामी महेश योगी ने इस अनुष्ठान के माध्यम से युवाओं को धर्म और अध्यात्म के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है।

20 से 24 दिसंबर तक चला अनुष्ठान
डॉ. पुनीत गोयल केशव, कार्यक्रम के संयोजक, ने बताया कि पंचवटी एनक्लेव, शताब्दी नगर, मेरठ में आयोजित इस महायज्ञ का आरंभ 20 दिसंबर 2024 को प्रातः 8 बजे हुआ और यह 24 दिसंबर 2024 को दोपहर 1 बजे समाप्त हुआ। स्वामी महेश योगी ने इस दौरान निराहार और निराजल रहते हुए, एक ही आसन में बैठकर 101 घंटे तक लगातार श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया।

एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान
इस ऐतिहासिक अनुष्ठान में सबसे अधिक बार, एक ही स्थान पर, एक ही व्यक्ति द्वारा श्री हनुमान चालीसा पाठ का रिकॉर्ड स्थापित किया गया। 27 दिसंबर 2024 को इसे आधिकारिक रूप से एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अंकित किया गया।

जनकल्याण और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश
यह अनुष्ठान न केवल धर्म और अध्यात्म के प्रति जनमानस को जागरूक करता है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। स्वामी महेश योगी ने इसे युवाओं को आध्यात्मिक शिक्षा और धार्मिक जागरूकता के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से संपन्न किया।

आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत
श्री हनुमान चालीसा पाठ के इस अद्वितीय प्रयास ने न केवल भारत के आध्यात्मिक गौरव को बढ़ाया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत प्रस्तुत किया। यह महायज्ञ समाज में आध्यात्मिक चेतना का विस्तार करेगा। 

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