महादेवा महोत्सव का तीसरा दिन : वीर, प्रेम और भक्ति रस से सराबोर हुए दर्शक, स्थानीय लोगों ने कवि सम्मेलन का उठाया आनंद

UPT | कवि सम्मेलन में कविता प्रस्तुत करतीं कवयित्री।

Dec 02, 2024 00:27

महादेवा महोत्सव के तीसरे दिन स्थानीय कवि सम्मेलन में वीर, प्रेम और भक्ति रस की कविताओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ब्लॉक प्रमुख संजय तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया और कवियों को सम्मानित किया।

Barabanki News : महादेवा महोत्सव के तीसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित स्थानीय कवि सम्मेलन में क्षेत्रवासियों ने कविताओं का आनंद उठाया। इस कवि सम्मेलन ने वीर, प्रेम और भक्ति रस से सराबोर कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ ब्लॉक प्रमुख संजय तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर किया। उनके साथ खंड विकास अधिकारी जितेंद्र कुमार और नायब तहसीलदार अभिषेक कुमार भी उपस्थित रहे। उद्घाटन के बाद ब्लॉक प्रमुख ने कवियों को माला पहनाकर, अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।



कविताओं की गूंज और श्रोताओं की तालियां
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री अंकिता शुक्ला ने मां वीणापाणि की वंदना प्रस्तुत करते हुए की। उन्होंने अपनी रचना "हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी करुणा माई माता" से माहौल को भक्तिमय कर दिया। इसके बाद कवि सम्मेलन के संयोजक मनोज मिश्र शीत ने अपनी कविताओं के माध्यम से महादेवा महोत्सव के महत्व और सुंदरता का बखान कर तालियां बटोरी। 

उन्होंने अपनी रचना में कहा 
"यदु कुल के कुल की खोल सारी गांठ रहे हैं,
पुश्तैनी इनके ऐसे ठाट बांट रहे हैं।
हिंदू अगर मरे तो देंगे नहीं छदाम,
संभल में पांच-पांच लाख बांट रहे हैं।"
उनकी इस कविता ने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।

वरिष्ठ कवि डॉ. अंबरीष अंबर ने पारिवारिक संबंधों और प्रेम पर आधारित कविता प्रस्तुत की। उन्होंने कहा :
"बहू में बेटी नजर आए, ननद भाभी पर इतराए,
प्रीत में जहां रवानी है, स्वर्ग की यही निशानी है।
राम की भव्य कहानी है।"
इस कविता ने पंडाल को तालियों की गड़गड़ाहट से भर दिया।

कवि डॉ. सर्मेश शर्मा ने माता-पिता के आशीर्वाद का मर्म समझाते हुए कहा :
"जमाना लाख दुश्मन हो हमारा कुछ न बिगड़ेगा,
हम अपने मां-बाप गुरु की दुआएं लेकर चलते हैं।"

अन्य कवियों की प्रस्तुति
मशहूर गीतकार प्रमोद पंकज ने अवधी में अपने गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा:
"अज की अयोध्या के आंगन के,
अवधी के सच्चे सपूत।
बुद्धिबल ज्यो गनेश के,
पंकज प्रसून पुंज प्रेम का।"

कवि अजय प्रधान ने अपनी रचना "माटी जो बनूं राम भक्तों की चरण रज" से भक्तिमय माहौल बनाया। अन्य कवियों में सुधा वर्मा, जगन्नाथ दीक्षित निर्दोष, रोहित सिरफिरा, शिवाजी, अंत प्रकाश बिंदु और विनीत शहर ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

श्रोताओं की भारी उपस्थिति
इस मौके पर भारी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित रहे और उन्होंने कवियों की प्रस्तुति का आनंद उठाया। कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी का धन्यवाद किया और महोत्सव की सफलता के लिए सराहना की। 

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