35 साल तक होमगार्ड बना रहा गैंगस्टर नकदू : भतीजे की शिकायत पर हुआ भंडाफोड़, हत्या और डकैती का आरोप

UPT | गैंगस्टर नकदू

Jan 08, 2025 14:25

आज़मगढ़ में एक गैंगस्टर, जो 35 सालों तक होमगार्ड के पद पर काम करता रहा, आखिरकार निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि की, जिसके बाद रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया...

Azamgarh News : आज़मगढ़ में एक गैंगस्टर, जो 35 सालों तक होमगार्ड के पद पर काम करता रहा, आखिरकार निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि की, जिसके बाद रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपी के खिलाफ कई गंभीर अपराधों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास और डकैती के मामले पहले से दर्ज थे। यह मामला तब सामने आया, जब आरोपी के भतीजे ने 3 दिसंबर को इसकी शिकायत तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण से की थी, जिसके बाद जांच शुरू की गई।

जांच में हुआ खुलासा
दरअसल घटना के अनुसार, आरोपी ने 1989 से लेकर 2024 तक रानी की सराय और मेंहनगर थाने में होमगार्ड के रूप में काम किया। हालांकि, यह खुलासा हुआ कि वह कई गंभीर अपराधों में संलिप्त था। इस मामले को लेकर दिसंबर महीने में डीआईजी को शिकायत दी गई थी और जांच में फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए होमगार्ड की नौकरी प्राप्त करने की पुष्टि हुई। इसके बाद होमगार्ड कमांडेंट मनोज सिंह बघेल ने आरोपी को निलंबित कर दिया।



फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर हासिल की नौकरी
जानकारी के अनुसार, आरोपी नकदू का असली नाम नंदलाल था, जिसने 1984 में एक हत्या का मामला दर्ज करवाया था। आरोप के अनुसार, उसने जहानागंज क्षेत्र में मन्नु यादव की हत्या की थी। इसके बाद, वह डकैती और गैंगस्टर के आरोपों में भी फंसा था। इस पर 1988 में गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई की गई और उसे हिस्ट्रीशीटर के रूप में दर्ज किया गया। इसी बीच, आरोपी ने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर होमगार्ड की नौकरी हासिल की।

भतीजे ने की शिकायत
घटना का खुलासा तब हुआ जब आरोपी के भतीजे नंदलाल ने डीआईजी से शिकायत की। उसने आरोप लगाया कि उसके चाचा ने 35 सालों तक फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी की। डीआईजी के आदेश पर जांच हुई, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि आरोपी ने 1990 में नाम बदलकर नंदलाल यादव रख लिया और अपने पुराने नाम से बरी होकर नौकरी में लग गया। 

कई बार हो चुका है चालान
इस मामले में और भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई, जैसे कि आरोपी के हिस्ट्रीशीटर होने के बावजूद रानी की सराय थाने और स्थानीय इंटेलिजेंस टीम ने उसे क्लीन चिट दी थी। यहां तक कि आरोपी के चरित्र प्रमाण पत्र पर 1992 में हस्ताक्षर भी किए गए थे। होमगार्ड विभाग में काम करते हुए आरोपी कई बार अनुशासनहीनता के लिए चुकता भी चुका था और उसका कई बार 151 के तहत चालान किया गया था।

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