राजनीतिक जिंदगी की जद्दोजहद से जूझने वाले बलिया के एक कद्दावर नेता ने पार्टी मुखिया व स्थानीय नेताओं द्वारा किए गए सार्वजनिक अपमान एवं बाहर के अनगिन दबाव के कारण पार्टी छोड़ने के साथ ही...
May 30, 2024 01:32
राजनीतिक जिंदगी की जद्दोजहद से जूझने वाले बलिया के एक कद्दावर नेता ने पार्टी मुखिया व स्थानीय नेताओं द्वारा किए गए सार्वजनिक अपमान एवं बाहर के अनगिन दबाव के कारण पार्टी छोड़ने के साथ ही...
Ballia News (अखिलानंद तिवारी) : राजनीतिक जिंदगी की जद्दोजहद से जूझने वाले बलिया के एक कद्दावर नेता ने पार्टी मुखिया और स्थानीय नेताओं द्वारा किए गए सार्वजनिक अपमान एवं बाहर के अनगिन दबाव के कारण पार्टी छोड़ने के साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने का निर्णय ले लिया। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस नेता ने तो आजीवन समाजवाद की वकालत की है, लेकिन अब..? हां इतना जरूर है कि सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया। राजनीतिक ठोकरों के कारण एक-दो मौके ऐसे जरूर आए जहां आदर मिला, वहीं अटके रहे। देखा जाए तो छात्र जीवन से लेकर संघर्षों की राजनीतिक कहानी सबसे अलग एवं वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक भी रही है। किसी कवि द्वारा लिखी गई चार पंक्तियां इस नेता के व्यक्तित्व पर सटीक बैठती हैं।
धूप-संवलायी जिंदगी की राह में, चुटकी भर सुकूं-सम्मान की चाह में,
उम्र -थके पांव, अश्रु- छके भाव, मगर इस जिद्दी घोड़े ने मुख नहीं मोड़े...।।
नारद राय ने की अमित शाह से मुलाकात
आप समझ चुके होंगे हम बात कर रहे हैं सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री नारद राय की। हाल ही में बलिया में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सनातन पांडेय के समर्थन में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। जिसमें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम को चार चांद लगाने के लिए पूर्व मंत्री नारद राय भी अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे, लेकिन वहां उन्हें अपमानित करने की योजना पहले से ही रची गई थी। इस कारण संगठन के पदाधिकारी एवं उम्मीदवार के इशारे पर सपा मुखिया ने उन्हें अपमानित करने का काम किया। इस अपमान से दुःखी पूर्व मंत्री नारद राय ने समर्थकों के अनगिन दबाव के कारण चौबीस घंटे के अंदर पार्टी से न केवल इस्तीफा दिया, बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और भाजपा में शामिल होने की घोषणा भी कर दी।
राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज
पूर्व मंत्री नारद राय का बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है। शहर से सटे माल्देपुर मोड़ के पास केंद्रीय गृहमंत्री के होने वाले कार्यक्रम में उनके शामिल होने की घोषणा हो सकती है। इसका कयास लगाया जा रहा है। पूर्व मंत्री के इस निर्णय से बलिया व आस-पास के जनपदों के राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है। साथ ही अब राजनीतिक समीकरण में उलट-फेर होने की संभावनाएं काफी करीब पहुंच चुकी है।
सपा शीर्ष नेतृत्व के लड़खड़ाते ही खिसकने लगी सियासी जमीन
बता दें कि पूर्व मंत्री नारद राय सहित दिग्गज नेताओं की एकजुटता के कारण सपा बलिया लोकसभा सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए थे। लेकिन सियासी गोटियों के खिसकने से ताना-बाना कमजोर होता नजर आ रहा है। एक दौर यह भी था जब समाजवादी पार्टी में दिग्गजों की कमी नहीं थी। छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र के साथ ही कद्दावर नेताओं में विक्रमादित्य पांडेय, शारदानंद अंचल आदि मौजूद थे। तब समाजवादी पार्टी का समर्थन भी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ हुआ करता था। चंद्रशेखर के निधन के बाद उनके पुत्र नीरज शेखर ने जनपद में समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ाया। नीरज शेखर को दो बार संसद तक पहुंचने में वरिष्ठ सपा नेता व पूर्व मंत्री रामगोविंद चौधरी, पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी, पूर्व विधायक मोहम्मद रिजवी एवं पूर्व मंत्री नारद राय की मुख्य भूमिका रही। लेकिन सपा शीर्ष नेतृत्व के लड़खड़ाते ही सियासी जमीन खिसकने लगी। बलिया में सपा का समीकरण बेटरी होने लगा। इसके बाद धरतीपुत्र मुलायम सिंह भी नहीं रहे।
एक जून को होना है मतदान
गौरतलब हो कि पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे नीरज शेखर का पिछले लोकसभा चुनाव में सपा का टिकट कटने से वह नाराज हो भाजपा का दामन थाम लिए। इस बीच कई नेता इधर से उधर हुए। इस बीच भाजपा में रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले फायरब्रांड नेता पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह और पूर्व विधायिका मंजू सिंह ने पला बदल किया। देखा जाए तो अब लोकसभा चुनाव का सातवां व अंतिम चरण का चुनाव एक जून यानि महज तीन दिन बाद होना है। ऐसे में पूर्व मंत्री नारद राय ने एकाएक भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर राजनीतिक भूचाल ला दिया है। अब देखना है कि सियासी ऊंट किस करवट बैठता है। इस चुनौती पूर्ण चुनाव में सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय की जीत होती है या भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर की ?