सुरहाताल क्षेत्र में इन दिनों प्रवासी पक्षियों, खासकर साइबेरियन पक्षियों का शिकार बड़े पैमाने पर हो रहा है। शिकारी इन पक्षियों को कीट-पतंगों में जहरीला पदार्थ मिलाकर अचेत कर देते हैं...
Dec 25, 2024 19:08
सुरहाताल क्षेत्र में इन दिनों प्रवासी पक्षियों, खासकर साइबेरियन पक्षियों का शिकार बड़े पैमाने पर हो रहा है। शिकारी इन पक्षियों को कीट-पतंगों में जहरीला पदार्थ मिलाकर अचेत कर देते हैं...
Ballia News : सुरहाताल क्षेत्र में इन दिनों प्रवासी पक्षियों, खासकर साइबेरियन पक्षियों का शिकार बड़े पैमाने पर हो रहा है। शिकारी इन पक्षियों को कीट-पतंगों में जहरीला पदार्थ मिलाकर अचेत कर देते हैं और फिर इन्हें ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। ठंड के मौसम में जब सुरहाताल क्षेत्र विदेशी पक्षियों के कलरव से गुलजार रहता है, तब शिकारियों की सक्रियता भी बढ़ गई है। हालांकि वन विभाग और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की तरफ से इस अपराध पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हो रहा है अवैध शिकार
सुरहाताल जिसे बर्ड सेंक्चुरी भी कहा जाता है, ठंड के मौसम में साइबेरियन पक्षियों समेत कई अन्य प्रवासी पक्षियों का घर बन जाता है। इस समय क्षेत्र में पक्षियों का अवैध शिकार और उनका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। शिकारी इन पक्षियों को मसलन कीट-पतंगों में जहर मिलाकर अचेत कर देते हैं और फिर इन्हें ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। इस दौरान स्थानीय बाजार में इन पक्षियों की बिक्री भी की जा रही है, जहां एक जीवित पक्षी 500 से 1000 रुपये तक बिकता है।
यहां हो रहा है सबसे ज्यादा शिकार
शिकार मुख्य रूप से सुरहाताल के पास स्थित मैरिटार, कैथवली, बसंतपुर, शिवपुर और ओझा के डेरा क्षेत्र में हो रहा है। यहां से लग्जरी गाड़ियों में पक्षियों की खरीदारी के लिए लोग पहुंच रहे हैं, जिससे अवैध कारोबार और भी बढ़ गया है।
वनाधिकारी बोले गश्त बढ़ाया गया
पक्षियों के शिकार पर रोक लगाने के लिए काशी वन्यजीव प्रभाग द्वारा सुरहाताल में निगरानी रखने की कोशिश की जा रही है, लेकिन क्षेत्रफल का बड़ा हिस्सा होने के कारण यह काम चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। वन विभाग के अधिकारी विमल आनंद का कहना है कि इस समय गश्त बढ़ा दी गई है और जहां से शिकार की शिकायतें मिल रही हैं वहां जांच की जाएगी। शिकारियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।सुरहाताल के इस मामले में वन विभाग की कार्रवाई की गति पर सवाल उठते हैं, क्योंकि जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक प्रवासी पक्षियों का शिकार जारी रहेगा और इस अवैध कारोबार पर रोक लगाना मुश्किल होगा।