आजमगढ़ में एक महिला को 49 वर्षों बाद अपने परिजनों से मिलाने का चमत्कारिक मामला सामने आया है। यह घटना 1975 की है...
Azamgarh News : आजमगढ़ में एक महिला को 49 वर्षों बाद अपने परिजनों से मिलाने का चमत्कारिक मामला सामने आया है। यह घटना 1975 की है, जब मुरादाबाद जिले में आठ वर्षीय बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। इस बच्ची का नाम फूला देवी था, जो अपनी मां श्यामदेई के साथ मुरादाबाद गई थी।
कैसे हुआ अपहरण और मानव तस्करी
बताया जाता है कि मुरादाबाद में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। कुछ समय बाद उसने बच्ची को रामपुर जिले के रायपुर गांव निवासी लालता प्रसाद गंगवार को बेच दिया। लालता प्रसाद ने फूला देवी से विवाह कर लिया। इसके बाद उनका एक बेटा हुआ, जिसका नाम सोमपाल है और जो अब लगभग 34 वर्ष का है। फूला देवी के मन में अपने असली घर और परिवार को ढूंढने की लालसा बनी रही। वह अक्सर बताती थीं कि उनका घर आजमगढ़ जिले में है, लेकिन इतने वर्षों तक उनकी यह बात अनसुनी ही रही।
प्रिंसिपल की सतर्कता बनी महिला के जीवन की दिशा
फूला देवी रामपुर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में काम करती थीं। वहीं की प्रिंसिपल डॉक्टर पूजा रानी को जब उनकी कहानी पता चली, तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया। प्रिंसिपल ने आजमगढ़ के एसपी सिटी शैलेंद्र लाल से संपर्क किया और इस मामले की जांच शुरू हुई।
पुलिस का ऑपरेशन मुस्कान बना वरदान
जिले के एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि ऑपरेशन मुस्कान के तहत इस मामले में जांच शुरू की गई। फूला देवी ने बताया कि उनके घर के पास एक कुआं था। इस सुराग के आधार पर पुलिस ने आजमगढ़ और आसपास के थानों में खोजबीन की। पुलिस ने मऊ जिले के दोहरीघाट थाना क्षेत्र के चूंटीदार गांव को चिह्नित किया। वहां जांच के दौरान पता चला कि 49 वर्ष पूर्व इसी गांव की एक बच्ची अपनी मां के साथ मुरादाबाद गई थी और वहीं से लापता हो गई थी।
परिवार से मिलने की खुशी
पुलिस ने फूला देवी के मामा और भाई लालधर से संपर्क किया। सभी ने फूला देवी की पहचान की पुष्टि की। इतने वर्षों बाद अपने परिजनों से मिलने पर फूला देवी की आंखों में खुशी और आंसुओं का सैलाब था।
फूला देवी ने पुलिस और प्रशासन को दिया धन्यवाद
मीडिया से बातचीत करते हुए फूला देवी ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं। इतने वर्षों बाद अपने परिवार से मिलना मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। मैं पुलिस और सभी सहयोगियों की आभारी हूं।" यह मामला न केवल पुलिस प्रशासन की तत्परता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हर कोशिश से सफलता मिल सकती है।