बलिया जिला अस्पताल में शुरू हुई नई सुविधाएं : अब नहीं काटना होगा चक्कर, ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट में स्थापित की गईं मशीनें

UPT | जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट स्थापित, अधिकारियों ने की जांच पड़ताल।

Aug 09, 2024 02:20

जिला चिकित्सालय बलिया में प्रतिदिन 150 से अधिक मरीज आते हैं। जिन्हें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) और प्लेट्लेट्स की जरूरत होती है। अभी तक जिले में यह उपलब्ध नहीं था। कारण कि यहां खून के चारों कंपोनेंट की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन अब जिला अस्पताल परिसर में सरकार की ओर से ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट स्थापित की गई है। इसका भवन बनकर तैयार हो चुका है। जिसमें बायो मिक्सर, एलाइजर रीडर, प्लेटनेट स्टेटस सहित प्लेटनेट्स सेंटर की सभी मशीन स्थापित हो चुकी हैं।

Bareilly News : जिला अस्पताल में अब मरीजों को रक्त के विभिन्न कंपोनेंट्स की उपलब्धता के लिए अन्य शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। अब जिला अस्पताल परिसर में एक नई ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट स्थापित की गई है, जिससे रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर संभव हो सकेगी। अभी तक बलिया जिले में खून के चारों प्रमुख कंपोनेंट्स की उपलब्धता नहीं थी, जिसके चलते मरीजों और उनके परिजनों को बनारस, प्रयागराज, गोरखपुर और पटना जैसे शहरों का दौरा करना पड़ता था। अब इस नई यूनिट के स्थापित हो जाने से यह समस्या हल हो जाएगी।

यूनिट में स्थापित की गईं नई मशीनें
ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट का भवन पूरी तरह से तैयार हो चुका है और इसमें बायो मिक्सर, एलाइजर रीडर, प्लेटलेट्स सेंटर और अन्य आवश्यक मशीनें स्थापित की गई हैं। गुरुवार को टीम ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में पहुंचकर इन मशीनों का परीक्षण किया और उनकी कार्यक्षमता की जांच की।

जल्द शुरू होंगी सुविधाएं
यदि सब कुछ ठीक रहता है, तो उम्मीद की जा रही है कि अगले पखवाड़े के भीतर सभी ब्लड कंपोनेंट्स की सुविधाएं आम जनता के लिए उपलब्ध हो जाएंगी। इसके बाद मरीजों को रक्त के विभिन्न कंपोनेंट्स के लिए किसी भी अन्य शहर की यात्रा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन प्रक्रिया
सेप्रेशन यूनिट में रक्त को विशेष प्रक्रिया के माध्यम से घुमाया जाता है, जिससे रक्त परत दर परत (लेयर बाई लेयर) अलग हो जाता है। इस प्रक्रिया के बाद रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी), प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स को अलग-अलग सुरक्षित जार में संग्रहित किया जा सकता है। इससे प्रत्येक कंपोनेंट की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार इसका उपयोग किया जा सकेगा।

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