मऊ
ऑथर Ankit Dahiya

करीब तीन साल तक बालगृह में बंद रही युवती :  हाईकोर्ट ने बताया गैर-कानूनी, कहा- पीड़िता कार्रवाई करने को स्वतंत्र

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 17, 2024 16:43

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में प्रेम विवाह करने वाली युवती को बिना किसी उचित कारण के बालगृह (बालिका), बलिया में 2 वर्ष 9 महीने तक रखने को गैर-कानूनी ठहराया...

Mau News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में प्रेम विवाह करने वाली युवती को बिना किसी उचित कारण के बालगृह (बालिका), बलिया में 2 वर्ष 9 महीने तक रखने को गैर-कानूनी ठहराया। न्यायालय ने कहा कि ऐसी अवैध हिरासत के खिलाफ पीड़िता को नियमानुसार कार्रवाई करने का अधिकार है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने मऊ निवासी युवती द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के निस्तारण के दौरान दिया। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा के प्रति गंभीर है, खासकर जब मामला प्रेम विवाह और उसके बाद की स्थिति से संबंधित हो।

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परिजनों ने पति के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया
मामला मऊ के मधुबन थाना क्षेत्र से जुड़ा है। बलिया की एक युवती ने प्रेम विवाह के बाद अपने पति के साथ हैदराबाद में रहना शुरू किया। लेकिन उनके परिजनों ने पति के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया, जिसके चलते युवती बाल गृह (बालिका), बलिया में बंद रही। युवती ने अपनी रिहाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस प्रकरण में कोर्ट ने अवैध हिरासत को संज्ञान में लेते हुए युवती के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को स्पष्ट किया।



युवती ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
कोर्ट ने तीन अक्टूबर को बाल कल्याण समिति, मऊ के अध्यक्ष से पूछा कि युवती को बाल गृह में दो वर्ष और नौ महीने तक क्यों रखा गया। इस पर अध्यक्ष ने हलफनामा पेश करते हुए बताया कि युवती नाबालिग थी और वह अपने माता-पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं थी। माता-पिता भी उसकी इच्छा के खिलाफ उसे सुपुर्द नहीं करना चाहते थे। हालांकि, अब युवती को रिहा कर दिया गया है और उसके बयान दर्ज होने के बाद वह अपने पति के साथ रहने लगेगी।

कोर्ट ने व्यक्त किया असंतोष
कोर्ट ने हलफनामे में दिए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष व्यक्त किया। न्यायालय ने कहा कि युवती को बिना कारण बाल गृह (बालिका), बलिया में दो वर्ष नौ महीने तक रखना गैर-कानूनी है। इसके परिणामस्वरूप, युवती को नियमानुसार कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। यह निर्णय युवती की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा के प्रति न्यायालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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