पीलीभीत में अवैध धान स्टॉक मामला : 30 घंटे बाद भी रिपोर्ट नहीं सौंप सके मंडी सचिव, कार्रवाई पर उठे सवाल

UPT | पीलीभीत में अवैध धान स्टॉक मामला

Oct 27, 2024 12:26

पीलीभीत जिले में मंडी शुल्क चोरी और अवैध रूप से धान भंडारण के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शुक्रवार को मंडी की टीम ने गाजीपुर मुगल गांव में राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल के गोदाम पर छापा मारा...

Pilibhit News : पीलीभीत जिले में मंडी शुल्क चोरी और अवैध रूप से धान भंडारण के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शुक्रवार को मंडी की टीम ने गाजीपुर मुगल गांव में राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल के गोदाम पर छापा मारा, जिसमें करीब 60,000 कुंतल बिना मंडी टैक्स जमा किए गए धान का भंडार पकड़ा गया। इसके बाद मंडी सचिव सुभाष सिंह ने मीडिया से कहा था कि राइस मिल मालिक से जुर्माना वसूला जाएगा और लाइसेंस निलंबित करने के लिए रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। लेकिन 30 घंटे बीत जाने के बावजूद यह रिपोर्ट अभी तक उच्च अधिकारियों को नहीं सौंपी गई है, जिससे मामले में प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही सामने आई है।

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सचिव का बयान और कार्रवाई का अभाव
शुक्रवार को छापेमारी के बाद मंडी सचिव सुभाष सिंह ने मीडिया को बताया था कि राइस मिल मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, शनिवार देर शाम तक उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं भेजी गई, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की जा रही है। इस रिपोर्ट को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता और कथित संरक्षण के प्रयासों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

नए बयान से मुकर गए मंडी सचिव
शनिवार को मंडी सचिव का एक नया बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने बताया कि गोदाम में धान के साथ-साथ गेहूं का भी स्टॉक मौजूद था। उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं के भंडारण की जानकारी नहीं थी, और उसे धान के साथ ही गिन लिया गया। सचिव के इस बयान ने पूरे मामले में उनकी भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि अगर गेहूं का भंडारण गोदाम में मौजूद था, तो इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई और गेहूं का सत्यापन क्यों नहीं कराया गया।



16 लाख रुपये की मंडी शुल्क चोरी का मामला
मंडी सचिव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, गोदाम में करीब 60,000 कुंतल धान का अवैध भंडारण किया गया था। यदि मंडी के निर्धारित रेट के अनुसार टैक्स वसूला जाता, तो यह करीब 16 लाख रुपये बैठता है। इतनी बड़ी रकम की टैक्स चोरी होने के बावजूद मंडी प्रशासन द्वारा कार्रवाई में देरी करना सवाल खड़ा करता है। 

मंडी प्रशासन पर संरक्षण का आरोप
मंडी प्रशासन की इस ढिलाई से यह भी संदेह पैदा हो रहा है कि कहीं प्रशासन द्वारा राइस मिल मालिक को संरक्षण देने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। 30 घंटे से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है, जो मंडी सचिव की भूमिका और उनकी जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करता है।

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आगे की जांच और कार्रवाई की मांग
इस मामले में अब स्थानीय लोगों और मीडिया द्वारा सख्त कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है। जिले में अवैध धान भंडारण और मंडी शुल्क चोरी जैसे मामलों को रोकने के लिए मंडी प्रशासन को सतर्कता बरतनी चाहिए। उच्च अधिकारियों को भी इस मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। 

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