अलविदा 2024 : आंवला और बदायूं में भाजपा को लगा था बड़ा झटका, सपा ने पांच में से दो सीटें जीती थीं, नए साल में बढ़ेंगी चुनौतियां

UPT | 2024 में बरेली मंडल का चुनावी बदलाव

Dec 31, 2024 01:53

2024 के लोकसभा चुनाव ने बरेली मंडल की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर किया। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस मंडल में सपा ने आंवला और बदायूं की महत्वपूर्ण सीटों पर विजय हासिल की थी। इस परिणाम ने भाजपा के लिए आगामी चुनावों में चुनौतियों का संकेत दिया और...

Bareilly News : हर साल की तरह वर्ष 2024 भी गुजरने वाला है। सिर्फ 30 घंटे बाद नए साल का आगाज हो जाएगा। मगर, पिछले साल बरेली मंडल के मतदाताओं ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। यह मंडल भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां की पांच सीटों में से लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने चार और 2019 में सभी पांच सीट जीती थीं, लेकिन अप्रैल और मई माह में आयोजित लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के हाथ से बरेली की आंवल और बदायूं लोकसभा सीट सपा ने छीन ली।

आंवला में सपा के नीरज मौर्य, बदायूं में आदित्य यादव, पीलीभीत में जितिन प्रसाद, बरेली में छत्रपाल सिंह और शाहजहांपुर लोकसभा सीट से अरुण सागर ने जीत दर्ज की। हालांकि बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार है। बरेली लोकसभा पर भाजपा की जीत का अंतर 1.60 लाख से अधिक था। यह भी घटकर सिर्फ 32 हजार के करीब रह गया है, जो भाजपा के लिए यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में चुनौती है। मगर, सपा के लिए यह आंकड़ा आगे के चुनाव में बरकरार रखना काफी मुश्किल है।

चुनावी नतीजों से आया था भूचाल
लोकसभा चुनाव 2019 में आए चुनावी नतीजों से यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया था। कई अफसरों से लेकर संगठन में भी बड़ा बदलाव करने की तैयारी है। इसके साथ ही भाजपा के लिए आने वाला वर्ष 2025 और भी चुनौतीपूर्ण होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, सपा ने इन क्षेत्रों में गठबंधन और स्थानीय मुद्दों को भुनाकर जनता का भरोसा जीता था। 

जानें जनता ने क्यों दिया भाजपा को झटका
यहां के मतदाताओं का कहना है कि आंवला और बदायूं में विकास के वादे अधूरे थे। बुनियादी सुविधाओं की कमी और किसानों के मुद्दों पर सरकार का ध्यान न देना भी मुख्य कारण बना। इसके साथ ही बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने भाजपा के खिलाफ भी माहौल तैयार किया। युवा वर्ग और किसान पर भाजपा का मजबूत आधार था। मगर, इस बार यह सपा के पक्ष में झुक गए।

यह थी सपा की रणनीति
लोकसभा चुनाव में सपा ने जमीनी स्तर पर पीडीए के माध्यम से पार्टी को मजबूती दी। पिछड़े, दलित वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय को एकजुट करने में सफलता पाई। सपा के लिए यह नतीजे बेहद अहम हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी ने यह दिखा दिया कि वह भाजपा को चुनौती देने में सक्षम हैं।इन जीतों ने पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया और सपा को 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए मजबूती प्रदान की है।

अब भाजपा के लिए चुनौतियां
भाजपा के लिए यह नतीजे चेतावनी हैं। भाजपा का सशक्त संगठन होते हुए भी वह गठबंधन की कमी के कारण पिछड़ गई। आंवला और बदायूं में स्थानीय नेताओं पर जनता का विश्वास कम हुआ है। भाजपा को अब अपनी नीतियों और विकास योजनाओं पर नए सिरे से काम करने की जरूरत है। 2027 में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि भाजपा को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे। सपा के लिए इन सीटों पर कब्जा बनाए रखना और अन्य क्षेत्रों में पैठ बनाना चुनौतीपूर्ण होगा। यह चुनावी नतीजे स्पष्ट संकेत देते हैं कि जनता अब विकास और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दे रही है।

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