दिव्यांगता नहीं तोड़ पाई सूरज के हौसले : बिना हाथ-पैर के भी खेलते हैं क्रिकेट, आजीविका के लिए चलाते हैं दुकान

UPT | सूरज

Dec 05, 2024 19:11

संतकबीरनगर में मेंहदावल विकास खंड क्षेत्र के ग्राम बेला कला के रहने वाले सूरज, प्रेरणा का प्रतीक हैं। 23 वर्षीय सूरज का जन्म बिना हाथों और पैरों के हुआ था...

Sant Kabirnagar News : संतकबीरनगर में मेंहदावल विकास खंड क्षेत्र के ग्राम बेला कला के रहने वाले सूरज, प्रेरणा का प्रतीक हैं। 23 वर्षीय सूरज का जन्म बिना हाथों और पैरों के हुआ था, लेकिन उसने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं माना। सूरज अपनी स्थिति को चुनौती के रूप में नहीं देखता, बल्कि उसने इसे एक अवसर के रूप में लिया है। वह बिना हाथ और पैरों के क्रिकेट खेलते हैं और अपने जीवन की दिशा खुद निर्धारित करते हैं।

शारीरिक कमजोरी को लेकर नहीं होते कभी हताश
सूरज का मानना है कि शारीरिक कठिनाइयों से ज्यादा मानसिक ताकत की आवश्यकता होती है। उसे इस बात का विश्वास है कि भगवान ने उसे दिव्यांग बनाया, लेकिन उसकी मानसिक शक्ति ने उसे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता दी। वह अपनी शारीरिक स्थिति को लेकर कभी हताश नहीं हुआ, बल्कि उसने खुद को हमेशा हर परिस्थिति में सफल होने का यकीन दिलाया।



बिना हाथ-पैर के खेलते हैं क्रिकेट
सोशल मीडिया पर सूरज का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह बिना हाथ और पैरों के क्रिकेट खेलते हुए नजर आए। इस वीडियो में वह जमीन पर घिसते हुए अपने पैरों से बैट पकड़ते हैं और शानदार शॉट्स लगाता है। वायरल वीडियो में देखा गया कि कैसे सूरज ने कभी अपनी दिव्यांगता को अपने सपनों को पूरा करने में रुकावट के रूप में नहीं देखा। उन्होंने अपनी परिस्थिति को अपने आत्मविश्वास और मेहनत से पार किया है।

कपड़े की दुकान चलाते हैं सूरज
आज सूरज कपड़े की दुकान चला कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। वह रोज अपने दोस्तों की मदद से दुकान पर जाते हैं और कारोबार करते हैं। सूरज ने कभी खुद को विकलांग महसूस नहीं किया, बल्कि हर कार्य में अपने आत्मविश्वास और मेहनत से सफलता प्राप्त की। उसकी कार्यशैली और दृढ़ता को देखकर हर कोई उसकी सराहना करता है।

मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से सब मुमकिन
सही मायनों में देखा जाए तो सूरज की कहानी यह साबित करती है कि अगर व्यक्ति के पास मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी शारीरिक कमजोरी उसे अपने लक्ष्यों को पाने से रोक नहीं सकती। सूरज की यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी परिस्थितियों के कारण निराश रहते हैं। सूरज ने विकलांगता को अपनी ताकत बनाया और साबित किया कि मानसिक ताकत और संघर्ष से बड़ी कोई चीज नहीं होती।

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