Gonda News : सरकारी विद्यालय में लड़कियों से कराई जा रही मजदूरी, बीएसए ने दिए जांच के आदेश...

UPT | विद्यालय में काम करतीं लड़कियां।

Nov 15, 2024 15:09

गोंडा जिले के पंडरीकृपाल विकास खंड के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिशुनपुर बौरिया से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चों से विद्यालय के प्रांगण में ईंटों की ढुलाई का काम कराया जा रहा है। एक वीडियो...

Gonda News : गोंडा जिले के पंडरीकृपाल विकास खंड के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिशुनपुर बौरिया से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चों से विद्यालय के प्रांगण में ईंटों की ढुलाई का काम कराया जा रहा है। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें बच्चे बिना किसी शिक्षा के मजदूरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

ये है पूरा मामला
वायरल वीडियो में बच्चों को विद्यालय में पढ़ाई करने की बजाय भारी ईंटों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। इन बच्चों की मासूमियत को देखकर यह स्पष्ट होता है कि वे बिना किसी आपत्ति के इस काम को कर रहे हैं, जबकि उनका काम स्कूल में शिक्षा ग्रहण करना है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि बच्चियां जो आम तौर पर कक्षा में किताबों के साथ बैठने के लिए आती हैं, आज ईंटें ढोने में व्यस्त हैं। इस दौरान बच्चों के कपड़े भी खराब हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद वे काम करती रहीं। 

बीएसए ने माना यह गंभीर मामला
सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होते ही मामला जिला प्रशासन तक पहुंचा। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी ने इस गंभीर मामले पर तुरंत संज्ञान लिया और खंड शिक्षा अधिकारी पंडरीकृपाल को मामले की जांच करने और संबंधित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विद्यालय में बच्चों से पढ़ाई की बजाय कोई अन्य काम कराया जा रहा है, तो यह पूरी तरह से गलत है। इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। बीएसए अतुल तिवारी ने यह भी कहा कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। 

प्रशासन की कार्रवाई पर नजर
बीएसए ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के माध्यम से एक बेहतर भविष्य देना है न कि उन्हें शारीरिक श्रम में लगाना। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि सरकारी विद्यालयों में कई बार बच्चों की शिक्षा की बजाय अन्य कामों में उनका शोषण किया जाता है। यह न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी हानिकारक है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए क्या ठोस कार्रवाई की जाती है।

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