गोंडा जिले में कुल 140 सहकारी समितियां हैं, जिनके माध्यम से किसानों को उर्वरक वितरण किया जा रहा है। इन समितियों का संचालन 67 कर्मचारियों के जिम्मे है...
Nov 14, 2024 20:39
गोंडा जिले में कुल 140 सहकारी समितियां हैं, जिनके माध्यम से किसानों को उर्वरक वितरण किया जा रहा है। इन समितियों का संचालन 67 कर्मचारियों के जिम्मे है...
Gonda News : गोंडा जिले में कुल 140 सहकारी समितियां हैं, जिनके माध्यम से किसानों को उर्वरक वितरण किया जा रहा है। इन समितियों का संचालन 67 कर्मचारियों के जिम्मे है, जिससे कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। प्रत्येक सचिव के पास दो या दो से अधिक समितियों का प्रभार होने के कारण, उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए रोस्टर तैयार किया गया है। यह रोस्टर समितियों में अंकित किया गया है और कर्मचारियों को इसे पालन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि खाद वितरण में कोई अवरोध न हो सके।
गोंडा में खाद वितरण में कोई कमी नहीं
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि गोंडा जिले में खाद की कोई कमी नहीं होगी। फिलहाल जिले में कुल 2,300.000 मैट्रिक टन (46,000 बोरी) डीएपी खाद बफर में उपलब्ध है, और 579.000 मैट्रिक टन (11,580 बोरी) खाद अभी भी बफर में मौजूद है, जिसे जल्द ही सहकारी बिक्री केन्द्रों तक भेजा जा रहा है। खाद वितरण प्रक्रिया में कृषि विभाग और सहकारिता विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो पूरे वितरण कार्य की निगरानी कर रहे हैं।
किसानों को 5 बोरी खाद प्रति खतौनी दी जा रही
किसानों को डीएपी खाद की अधिकतम 5 बोरी एक बार में, खतौनी के आधार पर दी जा रही है, ताकि सभी किसानों को खाद का समान वितरण हो सके। इसके अलावा, सहकारी समितियों में खाद वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राजस्व लेखपालों और कृषि विभाग के कर्मचारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे सुनिश्चित करेंगे कि वितरण प्रक्रिया सही तरीके से हो और किसी भी प्रकार की कालाबाजारी या खाद की अधिक कीमत पर बिक्री न हो।
डीएपी खाद का 2,300 मैट्रिक टन भंडारण उपलब्ध
जिलाधिकारी ने किसानों से अपील की है कि यदि उन्हें खाद के वितरण में कोई समस्या या कालाबाजारी की सूचना मिले, तो वे तुरंत फोन नंबर 9450311573 या 9415064616 पर सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा, कृषि विभाग और सहकारिता विभाग के अधिकारी नियमित रूप से बिक्री केन्द्रों का निरीक्षण करेंगे, ताकि खाद की सही तरीके से आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और किसानों को कोई कठिनाई न हो।