Gorakhpur News : गीता प्रेस ने गुजराती भाषा में तीन पुराणों का प्रकाशन किया, जानें डिटेल

UPT | गीता प्रेस की महत्वपूर्ण पहल

Nov 21, 2024 14:14

गोरखपुर से एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है, जहां गीता प्रेस ने अग्नि पुराण, वामन पुराण और वराह पुराण को गुजराती भाषा में प्रकाशित किया है। इससे पहले तक गुजराती भाषी लोग इन्हें हिंदी में ही पढ़ते थे, लेकिन अब वे इन तीनों पुराणों को अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे।

Short Highlights
  • गुजराती भाषा में प्रकाशित पुराणों की कीमत
  • वराह पुराण: 150 रुपये
  • अग्नि पुराण: 300 रुपये
  • वामन पुराण: 180 रुपये
Gorakhpur News : गीता प्रेस ने अग्नि पुराण, वामन पुराण और वराह पुराण को गुजराती भाषा में प्रकाशित किया है। अब तक गुजराती भाषी लोग इन्हें हिंदी में ही पढ़ते थे। अब वे इन तीनों पुराणों को अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे। अब तक गीता प्रेस ने गुजराती में केवल श्री हरिवंश पुराण, मत्स्य पुराण, श्री विष्णु पुराण, श्री नरसिंह पुराण, श्रीलिंग महापुराण और कूर्म पुराण ही प्रकाशित किया है। इसके अलावा आठ पुराण संक्षिप्त रूप में प्रकाशित किए गए हैं, इसमें भी ये तीन पुराण शामिल नहीं हैं। अब गुजराती भाषा में नौ संपूर्ण पुराण होंगे, अब तक इनकी संख्या छह थी।

15 भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन 
गीता प्रेस 15 भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करता है। इन भाषाओं में भारत का लगभग हर क्षेत्र शामिल हो जाता है। सभी लोग अपनी भाषा में पुस्तकें पढ़ व समझ सकें, इसका ध्यान रखकर पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है। हिंदी के बाद गुजराती भाषा में पुस्तकों की मांग ज्यादा रहती है। इसलिए इस बार तीन पुराणों को इस भाषा में प्रकाशित किया गया है। डिस्पैचिंग की तैयारी चल रही है। गुजराती में वराह पुराण, अग्नि पुराण व वामन पुराण की कीमत क्रमशः 150, 300 व 180 रुपये रखी गई है। 


वामन पुराण के 18 संस्करणों का प्रकाशन 
हिंदी में वामन पुराण के अभी तक 18 संस्करणों का प्रकाशन किया गया है। लगभग 54 हजार प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। अग्नि पुराण के 26 संस्करण निकल चुके हैं, कुल 97 हजार प्रतियों का प्रकाशन हो चुका है। वराह पुराण की 52 हजार प्रतियां 20 संस्करणों में प्रकाशित की जा चुकी हैं।

पहले संस्करण में प्रकाशित हुई दो हजार प्रतियां
गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने बताया कि अग्नि पुराण, वामन पुराण और वराह पुराण का गुजराती में प्रकाशन हो चुका है। इन सभी की दो-दो हजार प्रतियां पहले संस्करण में प्रकाशित हुई हैं। इन्हें भेजने की तैयारी चल रही है।
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