खिलौनों के बाद मूंगफली से विदेश तक चमकेगा झांसी : यूपी एग्रीज का नया मिशन, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

UPT | symbolic image

Sep 11, 2024 17:16

उत्तर प्रदेश में झांसी अपनी सॉफ्ट टॉयज के लिए देश और विदेश में प्रसिद्ध है, और योगी सरकार ने इसे जिले का ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) बनाकर इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ा दिया है। अब सरकार उसी तरह की योजना झांसी की मूंगफली के लिए लागू करने जा रही...

Jhansi News : उत्तर प्रदेश में झांसी अपनी सॉफ्ट टॉयज के लिए देश और विदेश में प्रसिद्ध है। योगी सरकार ने इसे जिले का ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) बनाकर इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ा दिया है। अब सरकार उसी तरह की योजना झांसी की मूंगफली के लिए लागू करने जा रही है। विश्व बैंक के सहयोग से चल रही यूपी एग्रीज योजना के तहत झांसी को मूंगफली क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना है। यदि ऐसा होता है, तो झांसी की मूंगफली न केवल देश के प्रमुख बाजारों में उपलब्ध होगी, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भी इसका निर्यात किया जा सकेगा।

किसानों की मूंगफली की खेती में रुचि
पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश के किसानों ने मूंगफली की खेती में बढ़ती रुचि दिखाई है, जिससे प्रति हेक्टेयर और प्रति किलोग्राम उत्पादन में वृद्धि हुई है। मूंगफली की खेती का क्षेत्र भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। यूपी एग्रीज योजना के माध्यम से, योगी सरकार बुंदेलखंड के किसानों को इस फसल के अधिकतम लाभ का फायदा पहुंचाने का प्रयास करेगी।



एक दशक में बदली मूंगफली उत्पादन की तस्वीर
डायरेक्टर ऑफ इकोनॉमिक्स और स्टेट मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर के 2013/2014 से 2015/2016 के औसत आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति हेक्टेयर मूंगफली की उपज 1542 किलोग्राम थी, जबकि उत्तर प्रदेश में यह केवल 809 किलोग्राम थी। उस समय देश में कुल 4.93 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर मूंगफली की खेती होती थी, जिसमें उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 2 प्रतिशत था। पिछले एक दशक में स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है, और अब उत्तर प्रदेश में मूंगफली का क्षेत्र बढ़कर लगभग 4.7 प्रतिशत हो गया है, जो कि ढाई गुना से अधिक की वृद्धि दर्शाता है।

उत्पादकता में 90% की छलांग
भारत में सबसे अधिक मूंगफली का उत्पादन गुजरात में होता है, जहां लगभग 20 लाख हेक्टेयर में देश के कुल उत्पादन का 47 प्रतिशत मूंगफली उगाई जाती है। इसके बाद राजस्थान और तमिलनाडु का स्थान है, जिनकी हिस्सेदारी क्रमशः 16 और 10 प्रतिशत है। पूरे देश में मूंगफली की प्रति हेक्टेयर उपज 1542 किलोग्राम से बढ़कर 1688 किलोग्राम हो गई है।

मूंगफली क्लस्टर की नई पहल
किसानों के इसी रुझान और बहुउपयोगी मूंगफली की स्थानीय बाजार और इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, फिलीपींस आदि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इसकी मांग को देखते हुए सरकार विश्व बैंक की मदद से यूपी एग्रीज योजना के तहत झांसी को मूंगफली के कलस्टर के रूप में विकसित करना चाहती है।

मूंगफली के उपयोग और औषधीय गुण
  • पोषक तत्व : मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र और वजन प्रबंधन में सहायक हैं।
  • मूंगफली का तेल : इसका तेल खाना पकाने और सौंदर्य उत्पादों में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई होता है, जो त्वचा और बालों के लिए लाभकारी है।
  • पशु आहार : मूंगफली प्रोटीन और ऊर्जा का अच्छा स्रोत होने के कारण इसे पशु आहार में भी शामिल किया जाता है।
  • खाना पकाने के तरीके : कच्ची मूंगफली को उबालकर खाया जा सकता है। भुनी मूंगफली खाना आम है।
  • उपयोग : मूंगफली से पीनेट बटर और पीनेट चीज बनाई जाती है। इसे करी, चटनी, सलाद और स्नैक्स के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
दाने के साथ छिलके के भी दाम
  • छिलके का उपयोग : मूंगफली के छिलके का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • खरीददारी : कुछ कंपनियां छिलके को प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदती हैं।
  • किसानों को लाभ : इस व्यवस्था के तहत, किसानों को मूंगफली के साथ-साथ उसके छिलके के भी दाम मिलेंगे।
  • अनुमानित मूल्य : सरकार का अनुमान है कि छिलके की एक्स फैक्ट्री प्राइस प्रति किलोग्राम 5 रुपए तक हो सकती है।

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