बिकरू कांड की चौथी बरसी : गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था गांव, चारों तरफ बिखरी लाशें, फिर शुरू हुआ एनकाउंटर का खेल

UPT | विकास दुबे की खंडहर कोठी

Jul 02, 2024 17:13

बिकरू कांड की चौथी बरसी को याद कर शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों की आंखें नम हैं। दो जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद एसटीएफ ने विकास दुबे समेत छह अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया था।

Kanpur News : यूपी के चर्चित बिकरू हत्याकांड की चौथी बरसी को याद कर आज भी गांव वाले सहम जाते हैं। उस खौफनाक मंजर की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। 2 जुलाई 2020 की रात कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। विकास दुबे की कोठी के आसपास पुलिसकर्मियों के शव बिखरे पड़े थे। पूरा गांव अपने घरों में कैद था और सिर्फ बम, गोलियों और चीख-पुकार की आवाजें आ रही थीं।

कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर में मार गिराया था। इस मामले में 42 आरोपी जेल में बंद हैं। बिकरू कांड के बाद पुलिस प्रशासन ने विकास दुबे की कोठी पर बुलडोजर चला कर खंडहर में तब्दील कर दिया था। इसके साथ ही उसकी लग्जरी गाड़ियों और ट्रैक्टर को भी बर्बाद कर दिया गया था।

जेसीबी से रोका गया था रास्ता
चौबेपुर पुलिस बीते दो जुलाई 2020 की रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर पर सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस की टीम दबिश देने के लिए गई थी। जिसकी भनक विकास दुबे को पहले ही लग गई थी। उसने पुलिस का रास्ता रोकने के लिए जीसीबी लगा दी थी। विकास दुबे ने छतों पर असलहों के साथ अपने गुर्गों को तैनात कर दिया था। पुलिस की टीम जैसे ही गांव में दाखिल हुई, विकास दुबे के गुर्गों ने मोर्चा संभाल लिया था। पुलिस जैसे ही विकास दुबे के घर के नजदीक पहुंची, तो विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था।

सीओ की बेरहमी से की गई थी हत्या
पुलिस टीम कुछ समझ पाती छतों से फायरिंग शुरू हो गई। पुलिस वाले जान बचाने के लिए इधन-उधर भागने लगे। पुलिस कर्मियों ने छिपकर गुर्गों से मोर्चा संभाला, लेकिन पुलिस टीम चारो तरफ से घिर चुकी थी। विकास दुबे और उसके गुर्गों ने चुन-चुन कर पुलिस कर्मियों को छलनी कर दिया। सीओ देवेंद्र मिश्रा का शव विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश के घर के आंगन में मिला था। उनके हाथ और पैरों पर कुल्हाड़ी से वार किया गया था। वहीं, तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी जान बचाकर भाग गए थे। थाना प्रभारी और बीट चौकी इंचार्ज पर विकास दुबे से मिले होने के सबूत भी सामने आए थे।

चारो तरफ मची थी चीख-पुकार
बिकरू कांड की अगली सुबह से ही पुलिस एक्शन में आ गई थी। तीन जुलाई सुबह तड़के पुलिस ने पूरे गांव को घेर लिया था। जब पुलिस गांव के अंदर दाखिल हुई, तो वहां का मंजर देखकर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए थे। सीओ की देवेंद्र त्रिपाठी की बेरहमी से हत्या की गई थी। चारो तरफ खून पुलिस कर्मियों की लाशें, कारतूस, बम गोलियों के निशान थे। चारो तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। पुलिस ने सुबह होते ही विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और भतीजे अतुल दुबे को एनंकाउंटर में ढ़ेर कर दिया था।

एसटीएफ ने विकास दुबे के गुर्गों को किया था ढेर
बिकरू कांड के बाद यूपी एसटीएफ ने मोर्चा संभाला था। जिसमें एसटीएफ ने फरार चल रहे अपराधियों को तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एसटीएफ ने हमीरपुर में अमर दुबे का एनकाउंटर किया था। प्रभात मिश्रा का कानपुर के पनकी में एनकाउंटर किया था। एक आरोपी का एनकाउंटर इटावा में हुआ था। इसके साथ ही विकास दुबे को एमपी के उज्जैन मंदिर से पकड़ गया था। इसके बाद विकास दुबे का एनकाउंटर संचेडी थाना क्षेत्र स्थित हाइवे किनारे हुआ था।

विकास दुबे का खजांची जय वाजपेई
पुलिस ने बिकरू कांड के बाद कुछ ऐसे अपराधियों को अरेस्ट किया था। जिन्होंने पर्दे के पीछे से इस हत्याकांड में विकास दुबे की मदद की थी। जिसमें विकास दुबे के खजांची जय वाजपेई का नाम सामने आया था। जय वाजपेई ने विकास दुबे को कारतूस और एक लाख रुपए की मदद की थी। पुलिस ने जय वाजपेई को इस मामले में आरोपी में आरोपी बनाया था। इसके साथ ही विकास दुबे की काली कमाई को मार्केट में खपाता था।

खुशी दुबे को बनाया आरोपी
पुलिस ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को आरोपी बनाया था। जबकि खुशी दुबे बिकरू कांड से दो दिन पहले ही विदा होकर गांव आई थी। खुशी दुबे की गिरफ्तारी विवादों में रही थी। लेकिन पुलिस ने उसे आरोपी बनाया। खुशी के पिता ने कोर्ट में साबित कर दिया कि उनकी बेटी नाबालिग है। कोर्ट के आदेश पर खुशी दुबे को जेल से नारी निकेतन शिफ्ट किया गया था। फिलहाल खुशी दुबे जमानत पर बाहर है।

23 आरोपियों को सजा
बिकरू कांड के 30 आरोपियों पर चौबेपुर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। मामले की सुनवाई एडीजे-5 में चल रही थी। अभियोजन की जोरदार पैरवी पर व अदालत के सख्त रुख अख्तियार करने पर मई 2022 में सभी आरोपियों पर अदालत में आरोप तय हो सके थे। इसके बाद मामले में गवाही व जिरह होने के बाद अदालत ने सितंबर 2023 में अपना फैसला सुनाते हुए 23 अभियुक्तों को दोष सिद्ध करते हुए उन्हें दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं सात आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। बिकरू कांड की एक आरोपी मनु पांडेय अभी भी फरार चल रही है।

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