जिला सहकारी बैंक में 25 करोड़ रुपये का घोटाला : महिला बैंक मैनेजर और पूर्व प्रधान गिरफ्तार, अन्य आरोपी भी पुलिस के निशाने पर

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Sep 28, 2024 12:59

जिला सहकारी बैंक में हुए 25 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस घोटाले में पुलिस ने बैंक की महिला शाखा प्रबंधक सुनीता और कुनैठी भरथना के पूर्व प्रधान प्रभात कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

Etawah News : जिला सहकारी बैंक में हुए 25 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस घोटाले में पुलिस ने बैंक की महिला शाखा प्रबंधक सुनीता और कुनैठी भरथना के पूर्व प्रधान प्रभात कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले भी इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। घोटाले में शामिल अन्य आरोपी पुलिस की रडार पर हैं और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

घोटाले की शुरुआत और गिरफ्तारी
घोटाले की जांच लंबे समय से चल रही थी, जिसके बाद जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक उमेश कुमार और वरिष्ठ शाखा प्रबंधक राजीव त्रिपाठी ने 17 जुलाई को 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। शुक्रवार को पुलिस ने सुनीता और प्रभात कुमार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सुनीता की आईडी का उपयोग घोटाले में किया गया था, जिसके चलते उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया। साथ ही, पुलिस ने पाया कि प्रभात कुमार के खाते में 2.28 करोड़ रुपये की राशि भेजी गई थी, जिसे बाद में निकाल लिया गया था। 



अन्य गिरफ्तारियां और पुलिस की कार्रवाई
इस घोटाले में पहले भी कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसएसपी संजय वर्मा ने बताया कि मामले में कई आरोपी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं और पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है। इटावा पुलिस ने इस घोटाले के सिलसिले में पहले चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। घोटाले में जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अखिलेश चतुर्वेदी और उनके पिता शैलेंद्र चतुर्वेदी की भी संलिप्तता पाई गई थी। 

घोटाले में और भी नाम शामिल
जांच के दौरान यह भी पता चला कि अखिलेश चतुर्वेदी ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों, जिसमें उनके पिता शैलेंद्र चतुर्वेदी, मां ऊषा चतुर्वेदी, पत्नी मालती चतुर्वेदी, और शहर के मशहूर सर्राफा कारोबारी उज्जवल पोरवाल के खातों में बड़ी रकम जमा कराई थी। इन्हीं तथ्यों के आधार पर इनकी भी गिरफ्तारी की गई थी। 

घोटाले का समय और जांच प्रक्रिया
यह घोटाला 2018 से 2023 के बीच हुआ था, और दिसंबर 2023 में आई शिकायत के बाद इसकी जांच शुरू की गई थी। प्राथमिक जांच में मामला सही पाए जाने पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक अखिलेश चतुर्वेदी और कैशियर नफीसुल जैदी को तुरंत निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की विस्तृत जांच कराई गई। 

पुलिस की अगली कार्रवाई
एसएसपी ने बताया कि घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और पुलिस इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। जांच में दोषी पाए गए अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। यह मामला लगातार बड़ा रूप ले रहा है, और पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है कि घोटाले में शामिल सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। 

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