योगी के मंत्री ने शेयर किया रतन टाटा का लेटर : अनुभव साझा करते हुए बोले- अपनी 50 साल पुरानी मर्सिडीज में बिठाया...

UPT | अमीम अरुण ने शेयर किया रतन टाटा का भेजा पत्र

Oct 10, 2024 18:08

रतन टाटा का निधन बुधवार (9 अक्टूबर) की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ, जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के उद्योग जगत को एक बड़ा झटका लगा है...

Short Highlights
  • असीम अरुण ने साझा किया अनुभव
  • रतन टाटा के पत्र को शेयर कर किया याद
  • दिल्ली में सामान्य कमरों में ही रुकते थे रतन टाटा
Kannauj News : टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा का निधन बुधवार (9 अक्टूबर) की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ, जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के उद्योग जगत को एक बड़ा झटका लगा है। उनके निधन पर कई लोग उनके साथ बिताए अनमोल लम्हों को याद कर रहे हैं, जिनमें यूपी के मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण भी शामिल हैं।उन्होंने रतन टाटा के निधन के बाद उनके साथ बिताए कुछ खास क्षणों को साझा किया।

सोशल मीडिया पर साझा किया अनुभव
असीम अरुण, जो अपने पुलिस सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे, ने रतन टाटा के साथ बिताए समय के अनुभव सोशल मीडिया पर साझा किए। उन्होंने साल 2007 या 2008 का एक वाकया साझा किया, उस समय वो एसपीजी में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में थे। उन्होंने कहा कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है। इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया जिसमें श्री रतन टाटा जी को वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था।
सामान्य कमरे में रुकते थे रतन टाटा
अरुण असीम ने बताया कि एसपीजी में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी उन्हें मिली। जिसके बाद, निश्चित समय पर वे रतन टाटा को एस्कार्ट करने के लिए ताज मान सिंह होटल, नई दिल्ली पहुंच गए। जहां मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं। प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में। उन्हें ले कर जब असीम अरुण निकलने लगे तो रतन टाटा ने उन्हें अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया ।

पचास साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर
मंत्री ने बताया कि करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर, ऐसे चलते थे रतन टाटा। ऐसे में जब उन्होंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है तो रतन टाटा ने सहजता से कहा, मुझे भला किससे ख़तरा हो सकता है? वहीं किसी सहयोगी कर्मी के साथ होने के सवाल पर उन्होंने जवाबद दिया कि मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई। यही नहीं उन्होंने रास्ता दिखाने के लिए, पायलट करने के लिए लगाई गई एसपीजी की टाटा सफारी को भी हटाने को कहा।

रतन टाटा की बातों में थी सरलता
असीम अरुण ने आगे बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के लेक्चर का विषय था ‘Developing Excellence in an Organization’ या ‘संस्था में उत्कृष्टता का विकास’। जब लेक्चर समाप्त हुआ, तो वे टाटा जी के साथ एयरपोर्ट तक गए। उन्होंने बताया कि मैंने उनसे पूछा, “एक्सीलेंस यानि उत्कृष्टता विकसित करने का क्या फार्मूला है?” तो वो बोले, “आपकी कंपनी या विभाग जो काम करता है उसे ‘sub-processes’ में बांटे और हर अंश को पक्का करें, प्रक्रिया बनाएं और क्वालिटी कंट्रोल का सशक्त सिस्टम बनाएं। अंतिम परिणाम तभी मुकम्मल होगा जब उसको फीड करने वाले अंग भी पर्फेक्ट होंगे।”



"नहीं, मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी"
उन्होंने आगे बताया कि टाटा मोटर्स ने एसपीजी के लिए ख़ास बुलेट प्रूफ कार और एस्कार्ट कार तैयार की थीं। अनुसंधान पर बहुत खर्च भी किया था, लेकिन उस समय एसपीजी ने BMW भी खरीदना शुरू कर दिया था। जिसपर असीम अरुण ने उनसे पूछा, “सर आपको इससे निराशा होगी क्या”? तब रतन टाटा बोले, “नहीं, मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी। अगर टाटा मोटर्स को मार्किट में रहना है तो प्रतियोगिता में शामिल रहना होगा। एसपीजी बेस्ट कार ही लेगी। मुझे अपनी सफारी को बेस्ट बनाना होगा। मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्लू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें। उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है।”

रतन टाटा ने भेजा था धन्यवाद पत्र
इसके साथ ही यूपी के मंत्री असीम अरुण ने रतन टाटा का भेजा हुए एक पत्र भी शेयर किया है। जिसे लेकर उन्होंने कहा कि इतने महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य था। सौभाग्य और बढ़ गया जब कुछ दिन बाद उनका यह धन्यवाद पत्र मुझे मिला। जिसे संजो कर मैंने रखा है और हमेशा रखूंगा, पत्र भी और उनकी सीख भी। ईश्वर से प्रार्थना है कि रतन टाटा जी की आत्मा को शांति मिले। वैसे शांति तो उन्हें जीते जी भी पर्याप्त थी, जिसका व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त करने का बहुमूल्य अवसर मुझे मिला था।

कौन हैं असीम अरुण?
मंत्री असीम अरुण, यूपी कैडर के आईपीएस अफसर ने एसपीजी में तैनाती के दौरान प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में  कार्य किया है और एटीएस प्रमुख तथा पुलिस कमिश्नर जैसे अन्य पदों पर भी रह चुके हैं। असीम अरुण ने 8 जनवरी 2022 में आईपीएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया और समाजवादी पार्टी के गठबंधन उम्मीदवार अनिल कुमार को लगभग छह हजार वोटों से हराया। असीम अरुण कन्नौज के निवासी हैं और उनके पिता, स्वर्गीय श्री राम अरुण, उत्तर प्रदेश के दो बार डीजीपी रह चुके हैं। असीम अरुण ने भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में कदम रखा।

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