वर्तमान परिवेश में व्यक्ति कमाने खाने के चक्कर में अपने परिवार और शहर से दूर रहता है, जिसके चलते वह संयुक्त परिवार में शामिल नहीं है। लिहाजा संयुक्त परिवार में रहने वाला इंसान के पास वह संभल होता है कि अपने परिवार के सदस्यों के दम पर वह समाज से व्यापार से धर्म से और कर्म से नित्य नई ऊंचाइयों को छूता है।