कम उम्र में कर दी जाती है 11 प्रतिशत लड़कियों की शादी : परिवार नियोजन के लिए विशेष समुदाय को नहीं करें टारगेट

UPT | सुन्नी इंटर कालेज के छात्र-छात्राएं

Jul 11, 2024 00:49

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांशु ओझा ने किशोर बच्चों को इस मुद्दे पर शामिल करना महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि वे भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने नियोजित जनसंख्या वृद्धि के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने पर जोर दिया।

Short Highlights
  • इंटरमीडिएट के छात्रों ने जाने परिवार नियोजन के फायदे
  • परिवार नियोजन के बारे में विद्यार्थियों की भागीदारी जरूरी
Lucknow News: बढ़ती आबादी के कारण कई समस्याओं में इजाफा हो रहा है। नौकरी, रोजगार, आवास आदि जरूरी साधन की मारामारी से लोग परेशान हैं तो कम उम्र में शादी जनसंख्या नियंत्रण में सबसे बड़ा रोड़ा है। देश में 11 प्रतिशत लड़कियों की शादी आज भी कम उम्र में कर दी जाती है। सही उम्र से पहले शादी लड़कियों में कई तरह की समस्याओं को जन्म दे रही है। कई बार उनकी जान तक जोखिम में पड़ जाती है। ऐसे में जागरूकता बेहद जरूरी है। इसी उद्देश्य को लेकर सुन्नी इंटर कालेज के 300 से अधिक इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं के बीच कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

पियर एजुकेटर लोगों को करें जागरूक
विश्व जनसंख्या दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को परिवार कल्याण कार्यक्रम के पियर एजुकेटर बनाने के लिए अहम जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें इसे आगे अपने साथियों और समाज में शेयर करने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं को रोचक अंदाज में परिवार नियोजन का महत्व बताया गया। 

बाल विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण को लेकर किया जागरूक
विश्व जनसंख्या दिवस की इस वर्ष की थीम ‘विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान’ है। इसी थीम को ध्यान में रखते हुए बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मार्गदर्शन में यूपीटीएसयू, सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च और पीएसआई के सहयोग से सुन्नी इंटर कालेज के इंटरमीडिएट के तीन सौ से अधिक छात्र-छात्राओं के बीच ओरिएंटेशन प्रोग्राम हुआ। सहयोगी संस्था पीएसआई ने बाल विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण व शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता के लिए छात्र व छात्राओं के साथ कई गतिविधियां कीं। 

किशोरावस्था में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा
संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण विभाग डॉ.उदय प्रताप सिंह ने किशोरावस्था में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की और पोषण की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए सही पोषण और पारिवारिक समर्थन महत्वपूर्ण है। शिक्षक स्कूल में बच्चों को पोषण पर मार्गदर्शन दे सकते हैं। वे आवश्यक सलाह लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित किशोर स्वास्थ्य केंद्रों पर भी जा सकते हैं।  

जनसंख्या नियंत्रण जनसमुदाय की जिम्मेदारी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांशु ओझा ने किशोर बच्चों को इस मुद्दे पर शामिल करना महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि वे भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने नियोजित जनसंख्या वृद्धि के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने पर जोर दिया। कहा कि सरकार पूरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन सीमित संसाधनों को देखते हुए जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने में योगदान देना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 11 फीसदी लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, जिससे महिलाओं में किशोर गर्भावस्था, प्रसव के दौरान जटिलताएं, समय से पहले प्रसव और हृदय संबंधी समस्याएं जैसे जोखिम होते हैं। स्कूली स्तर पर बच्चों को शिक्षित कर मातृ एवं नवजात संबंधी जटिलताओं को रोका जा सकता है। 

परिवार नियोजन के लिए विशेष समुदाय को नहीं करें लक्षित 
मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नाइश हसन ने छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि गरीबी कम होने और बेहतर शिक्षा और जागरूकता के कारण भारत में पीढ़ी दर पीढ़ी कुल प्रजनन दर कम हुई है। हालांकि विवाह कानूनों में सुधार के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है, ताकि प्रत्येक नागरिक को उच्च शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार का अवसर मिल सके। डॉ. नाइश ने सभी से आग्रह किया कि वे परिवार नियोजन के लिए किसी विशेष समुदाय को लक्षित नहीं करें और अक्षय तृतीया पर बाल विवाह जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं को हतोत्साहित करें। सुन्नी इंटर कालेज के प्रिंसिपल शकील अहमद ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय सही उम्र में शादी करना है, क्योंकि इससे बच्चों की संख्या अपने आप सीमित हो जाएगी और सभी को सुखी और समृद्ध जीवन जीने का मौका मिलेगा।

परिवार नियोजन के फायदे 
  • दंपति अपनी इच्छानुसार गर्भधारण कर सकते हैं। 
  • दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रख सकते हैं। 
  • परिवार को नियोजित करने के लिए सरल, सुरक्षित, प्रभावी व भरोसेमंद साधन उपलब्ध हैं।
  • अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है, जिससे लाभार्थी को बार-बार गर्भपात या असुरक्षित गर्भपात की परेशानियों का सामना न करना पड़े। 
  • कम उम्र में महिलाएं गर्भधारण से बच सकती हैं। ऐसा करने से गर्भावस्था व प्रसव संबंधित मां व शिशु को होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। 

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