Lucknow News : सरकारी स्कूल छोड़ चुके बच्चों का होगा सर्वेक्षण, यूपी में शिक्षक घर-घर देंगे दस्तक

UPT | सरकारी स्कूल छोड़ चुके बच्चों का होगा सर्वेक्षण।

Jun 09, 2024 19:08

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक विद्यालय छोड़ चुके बच्चों की खोज के लिए 17 जून से डोर-टू डोर सर्वेक्षण अभियान चलाएंगे। बेसिक शिक्षा अधिकारी इसकी रिपोर्ट तैयार कर स्कूल महानिदेशालय को भेजेंगे।

Lucknow News : स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल में दाखिल कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अभियान चला रही है। उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक 17 जून से डोर-टू डोर सर्वेक्षण अभियान चलाएंगे। इसके लिए ड्रॉपआउट बच्चों का सर्वे विद्यालय स्तर पर किया जाएगा। हर प्राइमरी स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में यह पता किया जाएगा कि कोई बच्चा स्कूल जाने से रह तो नहीं गया। 

दो चरण में किया जाएगा सर्वेक्षण
स्कूल शिक्षा महानिदेशालय के एक अधिकारी के अनुसार, यह सर्वेक्षण दो चरण में किया जाएगा। पहला चरण 17 जून से शुरू होगा जो एक माह तक यानी 17 जुलाई तक चलेगा जबकि दूसरा चरण एक अगस्त से 31 अगस्त तक चलेगा। इस सर्वेक्षण का नेतृत्व प्रधानाध्यापक करेंगे। विद्यालय स्तर पर शिक्षकों को चयनित स्थान अलॉट किया जाएगा। इसके बाद शिक्षक डोर टू डोर जाकर विद्यालय में न जाने वाले व किसी कारणवश विद्यालय छोड़ चुके बच्चों का सर्वे करेंगे। साथ ही शिक्षकों को जहां भी ऐसे बच्चे मिलेंगे जिन्होंने किसी कारण से स्कूल छोड़ दिया है, उनके पैरेंटस से बच्चे के स्कूल न आने के कारण पूछे जाएंगे। बच्चे के परिवार की शिक्षा का भी सर्वेक्षण कराया जाएगा। इसमें पता किया जाएगा कि उनकी पढ़ाई कहां तक हुई है या फिर अशिक्षित हैं। बच्चे को किस कारण से स्कूल नहीं भेज रहे हैं, क्या दिक्कतें स्कूल भेजने में आ रही हैं। 
 
किन कारणों से छोड़ा स्कूल,पता लगाएंगे
डोर-टू डोर सर्वेक्षण अभियान में शिक्षक इस बात का भी पता लगाएंगे कि क्या बच्चे को घर के कामों के कारण उसका स्कूल जाना बंद तो नहीं करा दिया है। (आमतौर पर बच्चियों के मामले में ऐसा देखने में आता है कि घरेलू कामों के कारण उनकी शिक्षा छुड़वा दी जाती है।) यह भी देखा जाएगा कि बच्चा कचरा बीनने या घरेलू सहायक के रूप में या फिर ईंट भट्ठों और खदानों पर काम तो नहीं कर रहे हैं। खेती-बाड़ी के कामों में तो नहीं लगे हैं। अपने पुश्तैनी काम जैसे दस्तकारी में लगे हो, या फिर किसी होटल-रेस्तरां में काम कर रहे हों, जिसके चलते उनका स्कूल छुड़वा दिया गया हो। डोर-टू डोर सर्वेक्षण में यह भी देखा जाएगा कि अपने छोटे भाई बहनों की देखभाल करने के लिए बच्चे के स्कूल जाने में परिवार ने रोक तो नहीं लगा दी है। 

जिलेवार रिपोर्ट स्कूल महानिदेशालय भेजी जाएगी
शिक्षक सर्वेक्षण में इस बात का भी पता लगाएंगे कि स्कूल दूर होने के कारण या फिर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अधिक होने के कारण भी तो बच्चे ने आना बंद कर दिया है। वहीं इसे भी पता किया जाएगा कि स्कूल के शिक्षक या अन्य स्टाफ के खराब व्यवहार के कारण तो बच्चे ने स्कूल आना बंद तो नहीं कर दिया है। इन्हीं बातों को जानने के लिए डोर-टू डोर सर्वेक्षण में शिक्षक बच्चों और उनके अभिभावकों से सवाल पूछेंगे। इस सब जानकारी के बाद जिलेवार रिपोर्ट बनाकर बेसिक शिक्षा अधिकारी स्कूल महानिदेशालय को भेजेंगे।

ड्राप आउट बच्चों का फिर से दाखिला कराया जाएगा
ड्रॉपआउट बच्चों को किस प्रकार से स्कूल लाया जा सकता है, इस पर मंथन किया जाएगा। इस दौरान स्कूल नहीं जाने वाले या ड्राप आउट वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराकर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।

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