Lucknow News : नियमित प्राचार्य की नियुक्ति को तरस रहे अनुदानित कॉलेज, शिक्षण व्यवस्था प्रभावित

UPT | केकेसी डिग्री कॉलेज

Oct 16, 2024 12:24

उच्च शिक्षा विभाग के जारी निर्देशों के अनुसार, कार्यवाहक प्राचार्य को प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ कक्षाएं भी पढ़ाने का आदेश दिया गया है। लेकिन, कार्यवाहक प्राचार्यों पर प्रशासनिक दायित्वों का इतना बोझ होता है कि वे ठीक से कक्षाओं में समय नहीं दे पाते हैं।

Lucknow News : लखनऊ के आठ अनुदानित कॉलेज कई वर्षों से बिना नियमित प्राचार्य के काम कर रहे हैं। इन कॉलेजों में कार्यवाहक प्राचार्यों के सहारे ही प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। नियमित प्राचार्य की अनुपस्थिति के कारण न केवल शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है बल्कि कॉलेजों में अव्यवस्थाएं भी बढ़ रही हैं।

प्रमुख कॉलेजों की स्थिति
इन कॉलेजों में राजधानी के सबसे अधिक छात्र संख्या वाला जय नारायण मिश्र (केकेसी) पीजी कॉलेज शामिल है, जिसमें लगभग 10,000 छात्र पढ़ते हैं। इसी प्रकार, बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कॉलेज, जो पेशेवर पाठ्यक्रमों में अपनी विशेषता रखता है, वहां भी नियमित प्राचार्य नहीं है। लखनऊ के अन्य प्रमुख कॉलेज जैसे आईटी पीजी कॉलेज और लखनऊ क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज भी कार्यवाहक प्राचार्यों पर निर्भर हैं।



महिला कॉलेजों में भी यही स्थिति
लखनऊ के प्रमुख महिला कॉलेज, जिनमें नारी शिक्षा निकेतन, शशिभूषण गर्ल्स कॉलेज, मुमताज पीजी कॉलेज, और महिला डिग्री कॉलेज शामिल हैं, ये भी नियमित प्राचार्य के बिना चल रहे हैं। महिला कॉलेजों में एकमात्र अनुदानित कॉलेज आईटी पीजी कॉलेज है, जिसमें प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला होता है। ऐसे महत्वपूर्ण कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य की कमी से महिला शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

प्रशासनिक कार्यों का बढ़ता दबाव
उच्च शिक्षा विभाग के जारी निर्देशों के अनुसार, कार्यवाहक प्राचार्य को प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ कक्षाएं भी पढ़ाने का आदेश दिया गया है। लेकिन, कार्यवाहक प्राचार्यों पर प्रशासनिक दायित्वों का इतना बोझ होता है कि वे ठीक से कक्षाओं में समय नहीं दे पाते हैं। इसका सीधा असर छात्रों की नियमित कक्षाओं पर पड़ रहा है, जिससे उनका शैक्षिक अनुभव प्रभावित हो रहा है।

अनुशासन और अधिकार की कमी से बढ़ती चुनौतियां
कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में कार्य करने वाले शिक्षक अपने ही सहकर्मियों के बीच होते हैं, जिससे उनके लिए अनुशासन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। नियमित प्राचार्य के पास न केवल अनुशासन लागू करने की शक्ति होती है बल्कि वे किसी भी समय कक्षाओं का निरीक्षण कर सकते हैं और शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं। कार्यवाहक प्राचार्यों को ये अधिकार नहीं मिलते हैं, जिससे कॉलेज का वातावरण और प्रबंधन प्रभावित होता है।

स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति जरूरी
लखनऊ के इन कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की कमी से शैक्षिक और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उच्च शिक्षा विभाग को इन कॉलेजों में जल्द से जल्द नियमित प्राचार्य नियुक्त करने की आवश्यकता है ताकि कॉलेजों में शैक्षिक और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके और छात्रों का शैक्षणिक अनुभव बेहतर हो सके।
 

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