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अखिलेश का बीजेपी पर निशाना : शंकराचार्य अयोध्या आने से मना कर रहे हैं तो क्या इन्हें भी सनातन विरोधी बोलेगी

Uttar Pradesh Times | Akhilesh Yadav

Jan 13, 2024 18:06

ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह जानकारी दी है कि देश के चारों शंकराचार्य 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन में इसलिए शामिल नहीं होंगे, क्योंकि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रही है।

लखनऊ : समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भगवान का निमंत्रण कौन देता है, भगवान जिनको बुलाते हैं वे लोग जाते हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग 100% हिन्दू हैं। सनातन परंपरा को मानते हैं। जब राम बुलाएंगे तो वह अयोध्या चले जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आने से शंकराचार्य मना कर रहे हैं तो क्या ये भाजपा वाले उन्हें भी सनातन विरोधी बोलेंगे? 

शुक्रवार को कहा था, नहीं मिला निमंत्रण
शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि कहा जा रहा है कि कोरियर से उन्हें 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले भगवान रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण भेजा गया है, जबकि उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है। अखिलेश के इस दावे पर विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि अखिलेश यादव को कोरियर से निमंत्रण भेजा गया था। अगर अखिलेश यादव को नहीं मिला है तो वह दोबारा निमंत्रण भेज सकते हैं। इस मौके पर अखिलेश ने कहा कि भाजपा राजनीतिक कार्यक्रम करवा रही है। वह हर चीज को इवेंट में तब्दील कर दे रही है। अपने फायदे के लिए कार्यक्रम चला रही है।

कौन होते हैं शंकराचार्य, जानें क्या महत्व है इनका
मान्यताओं के अनुसार, शंकराचार्य हिंदू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है। इस पद पर आसीन व्यक्ति को सम्मान और आस्था से देखा जाता है। आदि शंकराचार्य को हिंदू धर्म की दार्शनिक व्याख्या के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने ही हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए चार मठ की स्थापना ये चार मठ हैं- 
-    शृंगेरी मठ, कर्नाटक- शंकराचार्य भारतीतीर्थ महाराज
-    गोवर्धन मठ, पुरी ओडिशा- शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती महाराज
-    शारदा मठ, द्वारका गुजरात- शंकराचार्य सदानंद महाराज
-    ज्योतिर्मठ, बदरिका उत्तराखंड- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज


जानें क्यों नहीं आएंगे चारो शंकराचार्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में
ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह जानकारी दी है कि देश के चारों शंकराचार्य 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन में शामिल नहीं होंगे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के मुताबिक़, ये आयोजन शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रहा है। 
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है। इसमें वह कह रहे हैं कि रामानंद संप्रदाय का अगर ये मंदिर है तो चंपत राय वहां क्या कर रहे हैं। ये लोग वहां से हटकर रामानंद संप्रदाय को प्रतिष्ठा से पहले सौंपें। हम एंटी मोदी नहीं हैं, लेकिन हम एंटी धर्मशास्त्र भी नहीं होना चाहते। बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल ही में कहा था कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है। उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्य किसी राग या द्वेष से नहीं, बल्कि शंकराचार्यों की दायित्व है कि वह शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। वहां शास्त्रविधि की उपेक्षा हो रही है। मंदिर अभी पूरा बना नहीं है और प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है कि अचानक करना पड़े। कभी वहां रात में जाकर मूर्ति रख दी गई थी। वो एक परिस्थिति थी। 1992 में जब ढांचा ढहाया गया, तब कोई महूर्त थोड़ी देखा जा रहा था। तब किसी शंकराचार्य ने प्रश्न नहीं उठाया, क्योंकि तब ऐसी परिस्थिति थी। इसीलिए कोई शंकराचार्य वहां नहीं जा रहा है।

शंकराचार्य निश्चलानंद ने बताया शास्त्र सम्मत नहीं हो रही प्राण-प्रतिष्ठा
गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी ने एक चैनल से कहा कि उनका हृदय ऐसा नहीं कि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण दें तो फूल जाऊं तो निमंत्रण ना दें तो कुपित हो जाऊं। राम जी शास्त्रों के हिसाब से प्रतिष्ठित हों, ये ज़रूरी है। अभी प्रतिष्ठा शास्त्रों के हिसाब से नहीं हो रही है। इसलिए मेरा उसमें जाना उचित नहीं है. आमंत्रण आया है कि एक व्यक्ति के साथ आ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कौन मूर्ति का स्पर्श करे, कौन न करे, इसका ध्यान रखना चाहिए। पुराणों में लिखा है कि देवता (मूर्ति) तब प्रतिष्ठित होते हैं, जब विधिवत हों। अगर ये ढंग से न किया जाए तो देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं। ये खिलवाड़ नहीं है। ढंग से किया जाए, तभी देवता का तेज सबके लिए अच्छा रहता है वरना विस्फोटक हो जाता है।

बोले- वहां ताली बजाकर जय-जय करूंगा क्या
शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी ने कहा कि मोदी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे और वह वहां ताली बजा के जय-जय करेंगे क्या? शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी ने कहा कि उन्हें पद तो सबसे बड़ा प्राप्त ही है। अपने पद की गरिमा का भी ध्यान है। मैं वहां गया तो मोदी जी ज़्यादा से ज़्यादा नमस्कार कर देंगे। अयोध्या से परहेज़ नहीं है। वहां से मेरा संबंध टूटेगा नहीं। इस अवसर पर जाना उचित नहीं। वह पीएम मोदी के प्राण-प्रतिष्ठा किए जाने पर कहते हैं कि अगर दो साल बाद भी प्रतिष्ठा मोदी जी ही करते तो वह प्रश्न उठाते कि मूर्ति की प्रतिष्ठा ढंग से होनी चाहिए। अभी अयोध्या में शास्त्रों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। और इसकाकोई कारण नहीं है। वह किसी पार्टी के नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह नाराज होते ही नहीं हैं। 

शंकराचार्य सदानंद महाराज ने कहा मर्यादा का पालन हो
वहीं शारदापीठ के शंकराचार्य की ओर से भी इस बारे में सोशल मीडिया पर बयान साझा किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि 'शंकराचार्य सदानंद महाराज की ओर से कोई बयान प्रसारित नहीं किया गया है। राम मंदिर के लिए हमारे गुरुदेव ने कई कोशिशें की थीं। 500 साल बाद ये विवाद ख़त्म हुआ है। महाराज चाहते हैं कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह वेद, शास्त्र, धर्म की मर्यादा का पालन करते हुए हो। हालांकि इस बयान में यह नहीं बताया गया है कि द्वारका मठ के शंकराचार्य ख़ुद प्राण प्रतिष्ठा में जाएंगे या नहीं। 

शृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने लोगों से शामिल होने की अपील की 
शृंगेरी मठ की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि शंकराचार्य भारतीतीर्थ की तस्वीर के साथ संदेश प्रसारित किया जा रहा है, जिससे ये महसूस होता है कि शृंगेरी शंकराचार्य प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कोई संदेश शंकराचार्य की ओर से नहीं दिया गया है। ये गलत प्रचार है। इसके साथ ही शृंगेरी शंकराचार्य की ओर से अपील की गई है कि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हों। हालांकि शंकराचार्य ख़ुद अयोध्या जाएंगे या नहीं, इस बारे में बयान में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। 
 

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